दरअसल, सुखराम की तीन पत्नियां चुनाव मैदान में हैं। पूर्व में सरपंच रहीं गीता सिंह पिपरखाड़ पंचायत से सरपंच प्रत्याशी हैं। सचिव की दूसरी पत्नी कुसुम कली को यह बात रास नहीं आई। उसने भी पीपरखाड़ से ही पर्चा भर दिया है। इसके बाद तीसरी पत्नी उर्मिला सिंह भी चुनावी मैदान में ताल ठोकने को बेताब हो उठी। उर्मिला ने पति की नहीं सुनी और पेड़रा वार्ड से जनपद पंचायत सदस्य के लिए पर्चा भर दिया। यहीं से सचिव की मुसीबत शुरू हो गई। तीनों पत्नियां पति पर प्रचार के लिए दबाव बना रही हैं। इसे लेकर सप्ताह भर पहले घर में महाभारत खड़ी हो गई।
तीनों पत्नियों के चुनाव में उतरने से परेशान सचिव सुखराम सिंह ने घर और गांव छोड़ दिया है। उसकी मुसीबत यह है कि दो पत्नियां एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हैं। ऐसे में वह किसका प्रचार करे। तीनों पत्नियों का चुनाव क्षेत्र एक है। जनपद देवसर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बीके सिंह ने सुखराम को हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के प्रावधान के उल्लंघन में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
जनपद सीईओ ने मांगा जवाब
सचिव को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि प्रावधान के अनुसार एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह प्रतिबंधित है। इसे नजरअंदाज करने पर भादंवि 1860 की धारा 494 के अंतर्गत 7 वर्ष के सश्रम कारावास का प्रावधान है। सीइओ बीके सिंह के मुताबिक, अभी सचिव ने कोई जवाब नहीं दिया है। सचिव को जनपद कार्यालय में अटैच किया गया है।