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सतना

तस्वीरों में देखिए शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली का सच, ऐसे में रिजल्ट का ग्राफ तो गिरेगा ही

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5 years ago
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सतना. जिले की कमजोर शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़े-बड़े दावे करते हैं। लगातार बैठक, निरीक्षण व समीक्षा होती है। दिखावे के लिए कुछ अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी जाती है, लेकिन खुद के कार्यालय में व्याप्त अव्यवस्था पर ध्यान नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में न तो कर्मचारियों के आने-जाने का समय निर्धारित है न ही अधिकारी समय के पाबंद हैं। गुरुवार को सुबह ११ बजे कुछ ऐसी ही स्थिति मिली। तब और अब में कोई अंतर नहीं दिखा पत्रिका टीम ने गत ११ सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते, लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।  

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सतना. जिले की कमजोर शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़े-बड़े दावे करते हैं। लगातार बैठक, निरीक्षण व समीक्षा होती है। दिखावे के लिए कुछ अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी जाती है, लेकिन खुद के कार्यालय में व्याप्त अव्यवस्था पर ध्यान नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में न तो कर्मचारियों के आने-जाने का समय निर्धारित है न ही अधिकारी समय के पाबंद हैं। गुरुवार को सुबह ११ बजे कुछ ऐसी ही स्थिति मिली। तब और अब में कोई अंतर नहीं दिखा पत्रिका टीम ने गत ११ सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते, लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।  

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सतना. जिले की कमजोर शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़े-बड़े दावे करते हैं। लगातार बैठक, निरीक्षण व समीक्षा होती है। दिखावे के लिए कुछ अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी जाती है, लेकिन खुद के कार्यालय में व्याप्त अव्यवस्था पर ध्यान नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में न तो कर्मचारियों के आने-जाने का समय निर्धारित है न ही अधिकारी समय के पाबंद हैं। गुरुवार को सुबह ११ बजे कुछ ऐसी ही स्थिति मिली। तब और अब में कोई अंतर नहीं दिखा पत्रिका टीम ने गत ११ सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते, लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।  

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सतना. जिले की कमजोर शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़े-बड़े दावे करते हैं। लगातार बैठक, निरीक्षण व समीक्षा होती है। दिखावे के लिए कुछ अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी जाती है, लेकिन खुद के कार्यालय में व्याप्त अव्यवस्था पर ध्यान नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में न तो कर्मचारियों के आने-जाने का समय निर्धारित है न ही अधिकारी समय के पाबंद हैं। गुरुवार को सुबह ११ बजे कुछ ऐसी ही स्थिति मिली। तब और अब में कोई अंतर नहीं दिखा पत्रिका टीम ने गत ११ सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते, लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।  

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सतना. जिले की कमजोर शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़े-बड़े दावे करते हैं। लगातार बैठक, निरीक्षण व समीक्षा होती है। दिखावे के लिए कुछ अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी जाती है, लेकिन खुद के कार्यालय में व्याप्त अव्यवस्था पर ध्यान नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में न तो कर्मचारियों के आने-जाने का समय निर्धारित है न ही अधिकारी समय के पाबंद हैं। गुरुवार को सुबह ११ बजे कुछ ऐसी ही स्थिति मिली। तब और अब में कोई अंतर नहीं दिखा पत्रिका टीम ने गत ११ सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते, लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।  

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सतना. जिले की कमजोर शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़े-बड़े दावे करते हैं। लगातार बैठक, निरीक्षण व समीक्षा होती है। दिखावे के लिए कुछ अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी जाती है, लेकिन खुद के कार्यालय में व्याप्त अव्यवस्था पर ध्यान नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में न तो कर्मचारियों के आने-जाने का समय निर्धारित है न ही अधिकारी समय के पाबंद हैं। गुरुवार को सुबह ११ बजे कुछ ऐसी ही स्थिति मिली। तब और अब में कोई अंतर नहीं दिखा पत्रिका टीम ने गत ११ सितंबर को डीईओ ऑफिस का स्कैन किया था। तब भी यहां दो ही लिपिक मौके पर मौजूद मिले थे। विभगीय अमले की लापरवाही सामने लाने पर जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पत्रिका से चर्चा के दौरान व्यवस्था में कसावट लाने की बात कही थी, लेकिन महीनेभर बाद भी वही हालात हैं। आज भी कर्मचारी यहां मनमाने तरीके से आते-जाते, लेकिन लापरवाह अमले पर कार्रवाई करने की बजाय उनके बचाव में तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि कर्मचारियों को कई बार देर शाम तक भी रुकना पड़ता है, इसलिए सुबह आने में देर हो जाती है। लेकिन, कार्यालयीन समय पर जरूरी काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई कौन करे, इसकी न तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था की गई है न ही इस बात का कोई जवाब देने वाला है।  

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