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चौंकाने वाला खुलासा, बरगी व्यपवर्तन परियोजना की मूल स्वीकृति में बरगी टनल का नहीं था प्रस्ताव

locationसतनाPublished: Jun 18, 2020 02:41:59 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

एनवीडीए की आधिकारिक रिपोर्ट में हुआ खुलासा
विभागीय चूक और संवेदनहीनता हुई उजागर

Big Expose: Bargi Tunnel was not proposed in the original approval of Bargi Diversion Project

Big Expose: Bargi Tunnel was not proposed in the original approval of Bargi Diversion Project

सतना। बरगी नहर जिसे सतना जिले की जीवन रेखा के रूप देखा जाता है और सतना जिले की राजनीति का यह एक दशक से ज्वलंत मुद्दा भी बना रहता है। लेकिन एक आधिकारिक रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा अब जाकर हुआ है कि बरगी व्यपवर्तन परियोजना की जब मूल स्वीकृति हुई थी उसमें स्लीम्नाबाद में बरगी टनल का कोई प्रस्ताव ही नहीं था। अगर इस रिपोर्ट को सही मान लिया जाए तो अगर टनल का प्रस्ताव बाद में नहीं जोड़ा जाता तो शायद यह नहर आज की तारीख में शुरू हो चुकी होती। हालांकि अब दिशा की बैठक में इस टनल के स्थान पर ओपन चैनल की स्वीकृति के बाद यह माना जा सकता है कि नहर का काम जल्दी पूरा हो सकता है।
पहले कट एण्ड कवर विधि से बननी थी नहर
पत्रिका के पास मौजूद रिपोर्ट की प्रति में स्पष्ट कहा गया है कि बरगी व्यपवर्तन परियोजना की मूल स्वीकृति में टनल प्रस्तावित नहीं थी, अपितु कट एण्ड कवर विधि से नहर निर्मित की जानी थी। तत्कालीन मुख्य अभियंता का मानना था कि ऐसे भू-गर्भीय स्ट्राटा में टनल निर्माण जोखित भरा हो सकता है। किन्तु वर्ष 2007-08 में पदस्थ मैदानी अधिकारियों द्वारा भू-गर्भीय अनुसंधान किये जाने के उपरांत यह उचित पाया, कि कट एण्ड कवर विधि के स्थान पर टनल निर्माण किया जाना ज्यादा उपयुक्त होगा एवं इस प्रकार टनल निर्माण हेतु निविदा लगा दी गई। किन्तु उनका यह निर्णय सही साबित नहीं हुआ एवं भू-गर्भीय स्ट्राटा की जटिलताओं के कारण टनल निर्माण अत्यंत जोखिम भरी स्थिति में पहुँच गया।
मशीन लाने और काम शुरू करने में ही लग गए तीन साल
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि वर्ष 2008 में निर्माण कार्य के अनुबंध के बाद टनलिंग कार्य के लिए आवश्यक टनल बोरिंग मशीन (टी.बी.एम.) की उपयुक्त डिजाईन तैयार करने और उसके बाद मशीन को कार्य स्थल तक लाने एवं असेंम्बल कर कार्य प्रारंभ करने तक में अप्रेल 2011 का समय आ गया। बताया गया है कि टनल कार्य पहले एक मशीन (रॉबिन्स, अमेरिका) से प्रारंभ किया गया, जिससे वर्ष 2015 तक 1416.587 मीटर टनल बनाई जा सकी। इसके बाद टनल के दूसरे छोर से भी एक अतिरिक्त मशीन (एच.के., जर्मनी) जून 2016 में लगाई गई। इस प्रकार टनल का निर्माण कार्य दोनों छोर से दो मशीनों से प्रारंभ हुआ। अबतक लगभग 4,900 मी. (कुल लंबाई 11,953 मी. में से) पूर्ण किया जा सका है।
बड़ी विभागीय चूक और विभाग की संवेदनहीनता
रिपोर्ट में टनल के निर्णय को बड़ी विभागीय चूक माना गया है। रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि विभागीय स्तर पर निर्माण प्रबंधन में इसे एक चूक ही कही जा सकती है, कि यदि भू-गर्भीय जटिलताओं एवं भू-गर्भीय जल स्तर के ऊंचा होने की स्थिति के कारण कार्य प्रगति प्राप्त नहीं हो पा रही है। कहा गया है कि ऐसी स्थिति में अन्य विकल्पों का भी अध्ययन किया जा सकता था अर्थात् या तो टनल कार्यों की विशेषज्ञ टीम को सलाहकार के रूप में बुलाया जाकर उनकी राय ली जाती और उसके अनुसार कार्य किया जाता। जिससे यदि ऐसे भू-गर्भीय जटिलता में किसी अन्य विधि से टनल कार्य की प्रगति बढ़ सकती है, तो उसे अमल में लाया जाता या टनल के विकल्प के रूप में अन्य प्रस्ताव का अध्ययन कर उसे अपनाया जाता। किन्तु ऐसा किया नहीं जा सका, जिसे विभाग की संवेदनहीनता ही मानी जा सकती है।
अब तैयार किया नया प्रस्ताव
हालांकि अब नर्मदाघाटी विकास प्राधिकरण ने टनल का वैकल्पिक प्रस्ताव तैयार किया है। जिसे गत दिवस दिशा की बैठक में प्रस्तुत किया गया। बैठक के अध्यक्ष सांसद गणेश सिंह, विधायक नागेन्द्र सिंह सहित अन्य प्रशासनिक सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति देते हुए इसे पास कर दिया है और इसे राज्य शासन को भेजने के निर्देश दिये गए हैं। इस प्रस्ताव में जो नई डिजाइन बताई गई है उसके अनुसार अगले 30 महीने में यह निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।
” पहले क्या हुआ है यह हम नहीं देखना चाहते हैं। हमारी प्राथमिकता आज की है और भविष्य की स्थितयों के मद्देनजर हम काम कर रहे हैं। दिशा की बैठक में हमने नये प्रस्ताव पर सहमति दे दी है और हमारी कोशिश है कि तय समय सीमा में बरगी नहर में पानी आ जाए। इसके लिये कल हम मुख्यमंत्री से मुलाकात भी कर रहे हैं। जो भी बाधाएं होगी इस बैठक में दूर की जाएंगी। बरगी का पानी लाना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिये भारत सरकार स्तर पर भी चर्चा की जाएगी। ”
– गणेश सिंह, सांसद

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