scriptपानी की मोटर लगे तो करोड़ों का भवन हो हैण्डओवर | Water motor fitted to the house of millions handover | Patrika News

पानी की मोटर लगे तो करोड़ों का भवन हो हैण्डओवर

locationसतनाPublished: Jul 18, 2016 01:16:00 pm

Submitted by:

moolaram barme

देरी : पानी की मोटर नहीं लगने से रुका हुआ है मातृ शिशु इकाई का हस्तांतरण.
इधर: मेडिकल कॉलेज के निर्माण का कार्य भी होना है शुरू

 millions handover

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करोड़ों की लागत से बनी मातृ-शिशु इकाई महज इसलिए शुरू नहीं हो रही है कि यहां पानी की टंकी में पानी भरकर ट्रायल नहीं लिया गया है। पानी की एक मोटर लग जाए तो यह ट्रायल हो जाए।
 जिला कलक्टर व प्रमुख चिकित्सा अधिकारी इसके लिए जालोर के एनआरएचएम के अधिकारियों का तकाजा कर रहे हैं। वो आते भी हैं तो कार्य पूर्णता के दस्तावेज नहीं मिल रहे। इधर, मेडिकल कॉलेज को लेकर अस्पताल में बनने वाले भवन के निर्माण के आदेश हो गए हैं।
 लिहाजा अस्पताल परिसर के कई पुराने भवन गिराकर नए बनेंगे। एेसे में अस्पताल से इकाई का शिफ्ट होना भी जरूरी हो गया है।

यूं समझें मातृ-शिशु इकाई

सीएमएचओ ऑफिस के ठीक पीछे बने इस आलीशान भवन में महिला एवं शिशु वार्ड और इससे संबंधित तमाम इकाइयां शिफ्ट हो जाएगी। यहां आधुनिक सुविधा व सेंटर एसी का प्रबंध किया गया है। वार्ड, बैड और अन्य संसाधन भी पूरे हैं।
 यह इकाई महीनों से जालोर एनआरएचएम की ओर से भवन पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं देने और केवल पानी व बिजली के छोटे-छोटे कार्यों को लेकर हैण्डओवर नहीं हो रही है। अस्पताल को यह भवन हैण्डओवर हो तो यहां पर शिशु एवं महिला वार्ड को शिफ्ट किया जाए।
मेडिकल कॉलेज को तैयारियां शुरू

बाड़मेर में बनने वाले मेडिकल कॉलेज के लिए राजकीय अस्पताल के भवन को भी अपगे्रड किया जा रहा है। इसके लिए टीबी, पीएमओ ऑफिस, नेत्र इकाई और नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र को गिराकर यहां पर भवन को एक किया जाएगा, ताकि पूरा भवन बन जाए और यहां मेडिकल कॉलेज के लिए यूनिट और अन्य जरूरतें पूरी हो। 
इसके लिए निविदा प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। अब इन भवनों को गिराकर कार्य शुरू होना है, लेकिन मातृ-शिशु इकाई का कार्य लंबित होने से इसको भी रोका जा रहा है।

पीएमओ कार्यालय आएगा इधर
जहां अभी मातृ-शिशु इकाई है, वहां पर पीएमओ कार्यालय को शिफ्ट किया जाएगा। साथ ही अन्य कार्यालयों को भी जगह मिलेगी। इसके अलावा टीबी व अन्य भवन जो गिराए जा रहे हैं, उनके लिए भी सुविधा अस्पताल में अन्यत्र देने पर विचार किया जा रहा है।
पानी-बिजली की दिक्कत है

पानी की मोटर और आपूर्ति का सिस्टम होना है। बिजली की भी कुछ दिक्कत है। यह हो जाए तो मातृ-शिशु इकाई प्रारंभ हो सकती है। ये सुविधाएं अभी भी नहीं मिली है।
डॉ. देवेन्द्र भाटिया, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी 

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