37 फीसदी ही इमानदार
शहर के महज 37 फीसदी करदाता ही इमानदारी से कर जमा कर रहे हैं। बीते वित्तीय वर्ष में नगर निगम ने करदाताओं से 35.59 करोड़ रुपए संपत्तिकर वसूली का लक्ष्य रखा था। इसके मुकाबले निगम प्रशासन पूरी मशक्कत करने के बाद महज 13.40 करोड़ रुपए ही वसूल पाया। करदाताओं ने 22.19 करोड़ रुपए संपत्तिकर जमा नहीं किया। टैक्स वसूली की स्थिति कमजोर होने के कारण निगम का खजाना खाली है। इसका असर शहर विकास पर पड़ रहा है।
शहर के महज 37 फीसदी करदाता ही इमानदारी से कर जमा कर रहे हैं। बीते वित्तीय वर्ष में नगर निगम ने करदाताओं से 35.59 करोड़ रुपए संपत्तिकर वसूली का लक्ष्य रखा था। इसके मुकाबले निगम प्रशासन पूरी मशक्कत करने के बाद महज 13.40 करोड़ रुपए ही वसूल पाया। करदाताओं ने 22.19 करोड़ रुपए संपत्तिकर जमा नहीं किया। टैक्स वसूली की स्थिति कमजोर होने के कारण निगम का खजाना खाली है। इसका असर शहर विकास पर पड़ रहा है।
हर साल 15 करोड़ की चपत
नगर निगम सूत्रों का कहना है, स्मार्ट शहरों की सूची में शामिल सतना की जनता जब तक टैक्स जमा करने आगे नहीं आएगी तब तक शहर विकास संभव नहीं है। वर्तमान में निगम प्रशासन को हर साल शहर विकास के लिए 100 करोड़ से अधिक के राजस्व की दरकार है। चुंगी कर छोड़ दिया जाए तो निगम प्रशासन अपने तमाम स्त्रोतों से साल में महज 50 करोड़ राजस्व ही वसूल पाता है। जो अनुमानित लक्ष्य का मात्र 20 फीसदी है। निगम सूत्रों का कहना है, शहर में हर साल 15 करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी हो रही है। यदि निगम प्रशासन नए सिरे से संपत्तियों का सर्वे कराए तो अकेले संपित्तकर कर की वसूली 50 करोड़ को पार कर सकती है।
नगर निगम सूत्रों का कहना है, स्मार्ट शहरों की सूची में शामिल सतना की जनता जब तक टैक्स जमा करने आगे नहीं आएगी तब तक शहर विकास संभव नहीं है। वर्तमान में निगम प्रशासन को हर साल शहर विकास के लिए 100 करोड़ से अधिक के राजस्व की दरकार है। चुंगी कर छोड़ दिया जाए तो निगम प्रशासन अपने तमाम स्त्रोतों से साल में महज 50 करोड़ राजस्व ही वसूल पाता है। जो अनुमानित लक्ष्य का मात्र 20 फीसदी है। निगम सूत्रों का कहना है, शहर में हर साल 15 करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी हो रही है। यदि निगम प्रशासन नए सिरे से संपत्तियों का सर्वे कराए तो अकेले संपित्तकर कर की वसूली 50 करोड़ को पार कर सकती है।
व्यापारियों ने दबाए
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है, अभी शहर की आम जनता ही इमानदारी से समय पर कर जमा कर रही है। शहर के रसूखदार एवं व्यापारियों पर दस करोड़ से अधिक का संपत्तिकर बकाया है। कर चोरी में सबसे आगे बाजार क्षेत्र है। अकेले पन्नीलाल चौक क्षेत्र के व्यापारियों पर तीन करोड़ से अधिक का संपत्तिकर बाकी है। उसे जमा करने व्यापारी रुचि नहीं दिखा रहे। निगम प्रशासन जब भी रसूखदारों से संपत्तिकर वसूलने का दबाव बनाता है तो शहर के जनप्रतिनिधि व नेता व्यापारियों को बचाने में जुट जाते हैं। इसका असर निगम की कर वूसली में पड़ रहा है।
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है, अभी शहर की आम जनता ही इमानदारी से समय पर कर जमा कर रही है। शहर के रसूखदार एवं व्यापारियों पर दस करोड़ से अधिक का संपत्तिकर बकाया है। कर चोरी में सबसे आगे बाजार क्षेत्र है। अकेले पन्नीलाल चौक क्षेत्र के व्यापारियों पर तीन करोड़ से अधिक का संपत्तिकर बाकी है। उसे जमा करने व्यापारी रुचि नहीं दिखा रहे। निगम प्रशासन जब भी रसूखदारों से संपत्तिकर वसूलने का दबाव बनाता है तो शहर के जनप्रतिनिधि व नेता व्यापारियों को बचाने में जुट जाते हैं। इसका असर निगम की कर वूसली में पड़ रहा है।