वास्तु अनुसार मकान के फर्श का ढाल पूर्व या फिर उत्तर या ईशान दिशा की ओर होना चाहिए। इसमें भी उत्तर दिशा उत्तम मानी गई है। लेकिन फर्श किस प्रकार का होना चाहिए यह सबको जानना भी जरूरी है।
vastu tips for flooring: which floor is best in apartment as per vastu
सतना। (Vaastu Shaastra) हिन्दुस्तान एक ऐसा देश जहां सुबह की शुरुआत सूर्य दर्शन से और शाम, संध्या आरती से होती है। यहां घर की नींव से लेकर गृह प्रवेश तक वास्तु शास्त्र (Vastu Tips) के अनुसार होता है। ऐसे में वास्तु अनुसार मकान के फर्श का ढाल पूर्व या फिर उत्तर या ईशान दिशा की ओर होना चाहिए। इसमें भी उत्तर दिशा उत्तम मानी गई है। लेकिन फर्श किस प्रकार का होना चाहिए यह सबको जानना भी जरूरी है।
पंडित मोहन लाल द्विवेदी के अनुसार अगर प्लाट या मकान वास्तु के हिसाब से बना होता है तो घर में बरकत बनी रहती है। सुख-समृद्धि का समायोजन होता है। दिन प्रतिदिन तरक्की होती है। लेकिन ऐसा न करने से सबके जीवन पर दुष्प्रभाव फैलता है। होने वाले काम भी रूक जाते है। घर का विकास रूक जाता है। इसलिए घर में फर्श कैसा हो, कौन-सी टाइल्स सही है। किस तरह का मार्बल, कोटा स्टोन इस्तेमाल करें यह ध्यान देने की जरूरत है।
Patrika IMAGE CREDIT: Patrikaइन 5 बातों का रखें ध्यान 1- घर बनवाते समय एक बार जरूर किसी वास्तुशास्त्री से फर्श कैसा हो, कौन-सी टाइल्स सही है। किस तरह का मार्बल, कोटा स्टोन इस्तेमाल करें यह ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि कोटा स्टोन गर्मियों के लिए फायदेमंद है लेकिन ठंड और बारिश में यह नुकसानदायक ही सिद्ध होगा। 2- पौराणिक जानकारों की मानें तो यदि आपके घर के उत्तर-ईशान के भाग का फर्श पश्चिम-वायव्य के फर्श से लगभग 1 फुट नीचा है और वायव्य की तुलना में नैऋत्य कोण 1 फीट और अधिक नीचा है तो नुकसानदायक है। इसलिए बनवाते समय इन सब चीजों का ख्याल रखे।
Patrika IMAGE CREDIT: patrika 3- वास्तुशास्त्रियों का कहना है कि यदि मकान के अंदर का दक्षिण-नैऋत्य का भाग उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की तुलना में नीचा है। या फिर मकान के पूर्व-ईशान में लगभग डेढ़ फीट ऊंचा शौचालय है। इसी तरह घर में बाहर से ऊपर जाने के लिए उत्तर दिशा में पश्चिम-वायव्य से सीढिय़ां बनी हुई हैं तो नुकसान दायक साबित हो सकती है।
4- घर के अंदर से भी दुकान में आने-जाने के लिए आग्नेय कोण में सीढिय़ां हैं। इसी के सामने पश्चिम नैऋत्य में एक द्वार घर के अंदर जाने के लिए बना है तो यह भी नुकसानदायक है। उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण वास्तुदोष मिलकर भयंकर तरह की दुखद घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।
5- वास्तुशास्त्र के अनुसार फर्श का रंग भी किसी से पूछकर ही तय करें। किसी भी दिशा में गलत रंग के पत्थर का फर्श ना बनवाए। उत्तर में काले, उत्तर-पूर्व में आसमानी, पूर्व में गहरे हरे, आग्नेय में बैंगनी, दक्षिण में लाल, नैऋत्य में गुलाबी, पश्चिम में सफेद और वायव्य में ग्रे रंग के फर्श होना चाहिए। यदि आप अलग अलग रंग के पत्थर नहीं लगवाना चाहते हैं तो आप सभी कमरों में गहरे हरे या फिर पीले रंग का फर्श लगवा सकते हैं, पीले में पिताम्बर उत्तम है।