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MP के इन 3 गांवों के लोगों ने राष्ट्रपति को ट्वीट कर मांगी इच्छा मृत्यु की इजाजत, जानें क्या है वजह

locationसतनाPublished: Aug 28, 2020 03:53:11 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-ग्रामीणों ने राष्ट्रपति कार्यालय के पोर्टल पर भी किया सामूहिक इच्छा मृत्यु का आवेदन

President of India

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सतना. व्यवस्था से तंग आ कर जिले के तीन गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है। इसके लिए ग्रामीणों ने राष्ट्रपति को ट्वीट भी किया साथ में राष्ट्रपति कार्यालय के पोर्टल पर भी आवेदन किया है। ये ग्रामीण रामनगर तहसील स्थित करौंदी कोलहाई, खारा, बड़ा इटमा के निवासी हैं। अब इनकी इस कार्रवाई से जिले में हड़कंप मचा है। खास तौर पर विपक्ष ने इसे गंभीरता से लेते हुए शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा किया है।
इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे ग्रामीणों की अगुआई करने वाले सुभाष पांडेय ने बताया कि हम सभी ग्रामीणों द्वारा कई बार आवेदन ज्ञापन के माध्यम से रोड की मांग की गई। लेकिन शासन-प्रशासन से झूठे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। हमें रोड के आड़ में जनप्रतिनिधियों के द्वारा ठगा जा रहा है। हमारी उम्मीदें अब शासन प्रशासन से टूट चुकी है। मात्र 9 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण नहीं होने की वजह से सभी सुविधाओं से वंचित है।
बता दें पिछले वर्ष जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान प्रदेश के मुखिया सहित मंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों के मौजूदगी में सुभाष पांडेय के नेतृत्व में तकरीबन 500 ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए अपनी सभी समास्याओं से अवगत कराया था। उस वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महीने भर में रोड खुलवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन रोड अब तक नहीं बन सकी है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बाणसागर बांध निर्माण के दौरान हमें पहले ही बनी बनाई गृहस्थी से अलग किया गया। लेकिन हम सभी लोग यहां जैसे तैसे मेहनत मजदूरी करके जीवन यापन कर रहे है। लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे मूलभूत सुविधाओं से आज तक वंचित है। बांध निर्माण के दौरान हमें बलिदान की भेंट चढ़ा दिया गया। अब मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। गांव में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था है, लेकिन हायर सेकंडरी के लिए बच्चों को गांव से बाहर जाना पड़ता है। इसके अलावा राशन दुकान, वृद्घा पेंशन के लिए अन्य गांव जाना पड़ता है। ऐसे में रास्ता न होने से आवागमन में असुविधा होती है। उन्होंने यह भी कहा कि आज तक भूमि स्वामी होने का पट्टा नहीं दिया गया।
गावों में चारागाह की भूमि के आभाव होने की वजह से एक मात्र करौंदी का जंगल पहाड़ था, जहां पुस्तों से बड़ा इटमा खारा के पशु गोवंश आते जाते रहे। लेकिन 25 वर्ष पूर्व आम रास्ता बंद हो जाने से आसपास के गांव में बेसहारा पशुओं की संख्या बढ़ रही। इससे किसानों की खेती चौपट हो रही। यदि रास्ता दोबारा चालू हो जाता है तो चरनोई काफी मात्रा में हो जाएगी, जिसमें हम किसानों की खेती में सुविधा होगी। बेसहारा पशुओं की वजह से किसान परिवार अपना प्रमुख व्यवसाय खेती छोड़ मजदूरी करने पर विवश हो गए है।

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