ऐसे में अब जनता के बीच पैठ बनाने की सियासी चाल के तहत जनसमर्थन के लिए अन्य दल भी इसी राह पर चलते दिख रहे हैं। ज्ञात हो विधायक नारायण इसी महीने पं. धीरेंद्र शास्त्री से कथा भी कराने वाले थे। लेकिन, ऐनवक्त पर शास्त्री ने राजनीतिक दबाव के कारण कथा सुनाने से मना कर दिया।
वहीं सांसद गणेश सिंह भी कवि सम्मेलन और भागवत के जरिए मतदाताओं का दिल जीतना की कोशिश में जुटे हैं। चार बार से सांसद रहे सिंह ने पिछले दिनों एक बड़ा कवि सम्मेलन कराया था। जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। दरअसल, भाजपा चित्रकूट सीट कांग्रेस से छीनना चाहती है। इसके लिए पार्टी-संगठन सांसद पर दांव लगाने की तैयारी में दिख रहे हंै। ऐसे में अचानक ही उनके दौरे भी बढ़ गए हैं। ज्ञात हो कि वर्तमान में चित्रकूट में कांग्रेस से नीलांशु चतुर्वेदी विधायक हैं।
इन सभी के अलावा चुरहट विधानसभा क्षेत्र के साड़ा में रुद्र महायज्ञ का आयोजन कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय सिंह की ओर से कराया जा रहा है। इसमें हर दिन क्षेत्र के सैकड़ों लोग शामिल हो रहे हैं। ऐसे में सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा है कि 2018 में करीब 6400 वोटों से चुनाव हारने वाले पूर्व नेता प्रतिपक्ष अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर पाना चाहते हैं। उन्होंने 2018 से ही तैयारी शुरू कर दी थी।
विक्रम सिंह – इसके अलावा 2018 में पहली बार विधायक चुने गए विक्रम की रामपुर बाघेलान पैतृक सीट है। इससे पहले उनके पिता हर्षनारायण भी विधायक रहे हैं। विक्रम ने भी अप्रेल के शुरुआती दिनों में क्षेत्र में कवि सम्मेलन कर क्षेत्र की जनता का मन भी टटोला है।
कमलेश्वर पटेल- सिहावल से दो बार विधायक रह चुके कमलेश्वर की ओर से भी चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है। उन्होंने भी क्षेत्र में दौरे के अलावा कथा को जनता के बीच पहुंचने का जरिया बनाया है। उनकी ओर से कथा एक मई से आयोजित की जाएगी। वहीं चर्चा यह भी है कि भाजपा से सांसद रीति पाठक को यहां आगे किया जा सकता है।
ये भी कम नहीं
उधर, रैगांव उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी रहीं प्रतिमा बागरी ने भी इसी माह कवि सम्मेलन कराया। वहीं इस सम्मेलन में पहुंची जनता के मन को देखते हुए उन्होंने क्षेत्र में अपना दौरा भी बढ़ा दिया है। ज्ञात हो कि वर्तमान में यहां से कांग्रेस कीे कल्पना वर्मा विधायक हैं। वहीं भाजपा अपनी इस परंपरागत सीट को इस बार किसी भी तरह से पाने में जुटी हुई है। ज्ञात हो कि उपचुनाव में प्रत्याशी के पक्ष में सीएम शिवराज सिंह चैहान करीब 10 बार यहां पहुंचे थे, लेकिन हार ही हाथ आई थी।