सतना. शहर के बीचोंबीच बने इकलौते बस स्टैंड पर यात्रियों को प्रतिदिन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। यहां न तो सफाई दिखती है और न ही भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पानी मिलता है। पानी की सुविधा के लिए यहां एक टंकी जरूर बनी है लेकिन उसके चारों ओर पसरी गंदगी देखकर पानी पीने की इच्छा नही होती। ऐसे मे लोगों को जेब ढीली करनी पडती है।
सतना. शहर के बीचोंबीच बने इकलौते बस स्टैंड पर यात्रियों को प्रतिदिन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। यहां न तो सफाई दिखती है और न ही भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पानी मिलता है। पानी की सुविधा के लिए यहां एक टंकी जरूर बनी है लेकिन उसके चारों ओर पसरी गंदगी देखकर पानी पीने की इच्छा नही होती। ऐसे मे लोगों को जेब ढीली करनी पडती है।
सतना. शहर के बीचोंबीच बने इकलौते बस स्टैंड पर यात्रियों को प्रतिदिन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। यहां न तो सफाई दिखती है और न ही भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पानी मिलता है। पानी की सुविधा के लिए यहां एक टंकी जरूर बनी है लेकिन उसके चारों ओर पसरी गंदगी देखकर पानी पीने की इच्छा नही होती। ऐसे मे लोगों को जेब ढीली करनी पडती है।
सतना. शहर के बीचोंबीच बने इकलौते बस स्टैंड पर यात्रियों को प्रतिदिन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। यहां न तो सफाई दिखती है और न ही भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पानी मिलता है। पानी की सुविधा के लिए यहां एक टंकी जरूर बनी है लेकिन उसके चारों ओर पसरी गंदगी देखकर पानी पीने की इच्छा नही होती। ऐसे मे लोगों को जेब ढीली करनी पडती है।
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