मैहर के ज्योतिषाचार्य पं मोहनलाल द्विवेदी के अनुसार, हमारे धर्म ग्रंथों में अधिक मास से संबंधित कई नियम बताए गए हैं। यह नियम हमारे खान-पान से लेकर व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं। इस महीने में कुछ विशेष काम करने से शुभ फल मिलते हैं, वहीं कुछ काम करने की मनाही है। यहां MP.PATRIKA.COM आपको उन्हीं कामों के बारे में बता रहा हैं। जो महर्षि वाल्मीकि ने अधिक मास के नियमों के संबंध में कहा है।
अधिक मास के नियम
1- अधिक मास में सफेद धान, मूंग, जौ, तिल, मटर, बथुआ, शहतूत, ककड़ी, केला, घी, कटहल, आम, हरेज़्, पीपल, जीरा, सौंठ, इमली, सुपारी, आंवला, सेंधा नमक नहीं खाना चाहिए। 2. इनके अतिरिक्त मांस, शहद, चावल का मांड, चौलाई, उरद, प्याज, लहसुन, नागरमोथा, गाजर, मूली, राई, नशे की चीजें, दाल, तिल का तेल और दूषित अन्न का त्याग करना चाहिए।
1- अधिक मास में सफेद धान, मूंग, जौ, तिल, मटर, बथुआ, शहतूत, ककड़ी, केला, घी, कटहल, आम, हरेज़्, पीपल, जीरा, सौंठ, इमली, सुपारी, आंवला, सेंधा नमक नहीं खाना चाहिए। 2. इनके अतिरिक्त मांस, शहद, चावल का मांड, चौलाई, उरद, प्याज, लहसुन, नागरमोथा, गाजर, मूली, राई, नशे की चीजें, दाल, तिल का तेल और दूषित अन्न का त्याग करना चाहिए।
3. पुरुषोत्तम मास में जमीन पर सोना, पत्तल पर भोजन करना, शाम को एक वक्त खाना, इन नियमों का पालन भी करना चाहिए। 4. इस महीने में रजस्वला स्त्री से दूर रहना चाहिए और धर्मभ्रष्ट संस्कारहीन लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए।
5. किसी से भी वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। देवता, वेद, ब्राह्मण, गुरु , गाय, साधु-सन्यांसी, स्त्री और बड़े लोगों की निंदा नहीं करनी चाहिए। 6. तांबे के बर्तन में रखा गाय का दूध नहीं पीना चाहिए। इस महीने में केवल अपने लिए ही पकाया हुआ अन्न दूषित माना गया है। इसलिए अकेले भोजन नहीं करना चाहिए। जो भी भोजन बनाएं, उसका कुछ हिस्सा दूसरों को भी देना चाहिए।
संतों की मानें तो हजारों वर्ष पहले एक मलमास नाम का व्यक्ति हुआ करता था। लेकिन मलमास को मल अथवा गंदगी के नाम लोग चिढ़ाने लगे। थकहारकर एक दिन मलमास भगवान विष्णु के पास पहुंचा। बोला भगवन मेरे नाम की गलत संज्ञा दी जाती है। पृथ्वी में रहना मुश्किल हो गया है। भगवान आप ही बताएं मैं क्या करू। फिर विष्णु भगवान बोले की जाओ मैं बरदान देता हूं कि आज से तुम्हारा नाम मलमास की जगह पुरुषोत्तम मास होगा। इस माह में जो भी जातक श्रद्धा से मेरी पूजा करेंगे उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी। ये महीना हर तीसरे साल तुम्हारे नाम से जाना जाएगा।
विंध्य के शिवमंदिरों में लगता है भक्तों का रेला
विंध्य क्षेत्र में पुरुषोत्तम मास का बड़ा महत्व है। सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली जिलों में शिव भक्त प्रचलित शिवमंदिरों में जाकर शिवलिंग में जल चढ़ाते है। सतना के गैबीनाथ, पशुपतिनाथ, जगतदेव तालाब, रीवा के देवतालाब, रानी तालाब, सीधी के बढ़ौरा मंदिर सहित एक दर्जन मंदिरों में सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। अधिक मास में कई भक्त एक माह निरंतर शिव मंदिरों में जाकर जल चढ़ाते है।
विंध्य क्षेत्र में पुरुषोत्तम मास का बड़ा महत्व है। सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली जिलों में शिव भक्त प्रचलित शिवमंदिरों में जाकर शिवलिंग में जल चढ़ाते है। सतना के गैबीनाथ, पशुपतिनाथ, जगतदेव तालाब, रीवा के देवतालाब, रानी तालाब, सीधी के बढ़ौरा मंदिर सहित एक दर्जन मंदिरों में सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। अधिक मास में कई भक्त एक माह निरंतर शिव मंदिरों में जाकर जल चढ़ाते है।
अधिक मास में भगवान विष्णु अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं। उनकी हर इच्छा जैसे- धन, संपत्ति, संतान आदि पूरी करते है। इसलिए भक्ति-भाव में भगवान की पूजा करें। आपकी मुरादें नहीं खाली जाएंगी।
पं. मोहनलाल द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य मैहर
पं. मोहनलाल द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य मैहर