फिलहाल, दुर्गापुर के ग्रामीण खासे उत्साहित हैं। हों भी क्यों न पहली बार कोई मुख्यमंत्री उनके गांव जो पहुंच रहा है। सीएम की आवभगत की तैयारी में जुटे ग्रामीणों से पत्रिका ने सवाल किया तो समस्याओं की लंबी फेहरिस्त गिना दी। हालांकि, समाधान होगा या नहीं इस पर उनका Óयादा जोर नहीं है। वह मुख्यमंत्री के आने पर ही खुश हैं।
बुजुर्ग रामदीन यादव ने कहा, कहा, उपचुनाव के दौरान सरकार ने कई घोषणाएं की थीं। लेकिन, चुनाव बाद सब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। न पानी की समस्या दूर हुई न ही गांव की सड़क बनी। चुनाव होते ही प्रशासन व जनप्रतिनिधि भूल सा गए थे। अब मुख्यमंत्री आ रहे हैं तो फिर उम्मीद बंंधी है।
लगभग साढ़े तीन सौ की आबादी वाले दुर्गापुर गांव की 80 फीसदी आबादी रोजी-रोटी के लिए खेती व मजदूरी पर निर्भर है। सबसे बड़ी समस्या है जलसंकट। 70 साल बाद भी सरकार यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं करा पाई। बड़ी संख्या में लोग राशन-पेंशन की सुविधा से भी वंचित थे। हालांकि, उपचुनाव के पहले प्रशासन ने शिविर लगाकर यहां के लोगों की इस तरह की Óयादा समस्याएं तो दूर कर दी, लेकिन स्वास्थ्य शिक्षा जैसी बुनियादी समस्याएं अब भी मुंह बाएं खड़ी हैं। जानकारों का कहना हैकि मुख्यमंत्री यदि दुर्गापुर के आदिवासी परिवारों को यदि गुणवत्तायुक्त शिक्षा और रोजागर के मौके दिला दें तो उनकी जिंदगी में कुछ बदलाव आ सकता है। अन्यथा ऐसे सियासी दौरे उनके लिए बेमानी हैं।
दुर्गापुर पहुंच रहे मुख्यमंत्री गांव में जनसभा करने के बाद आदिवासी कल्याण सिंह गोड़ के घर भोजन करेंगे। भाजपा कार्यकर्ता व प्रशासन के अधिकारी इसके लिए सभी इंतजाम करा दिए हैं। भोजन का कार्यक्रम तय होने के साथ ही कल्याण सिंह के घर का रंगरोगन, सड़क मरम्मत व साफ-सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया था। रसोई से लेकर बर्तन व भोजन के मीन्यू तक सब कुछ तय कर लिया गया है। इंतजार शनिवार दोपहर की उस घड़ी का है, जब सीएम सियासतदारों के साथ भोजन करेंगे।