ठेकेदार को अब तक पांच बार एक्सटेंशन दिया जा चुका है। इस बार फरवरी 18 तक का समय दिया गया है। दरअसल, जिला चिकित्सालय परिसर में ट्रॉमा यूनिट के लिए 13वें वित्त आयोग की योजना से वर्ष 2011 में 316.93 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे।
चार साल में महज 126.21 लाख रुपए ही खर्च किए जा सके। जबकि 12 माह में निर्माण कार्य पूरा हो जाना चाहिए था। इसी बीच 31 मार्च 2015 को 13वें वित्त आयोग की योजना को बंद कर दिया गया। ऐसे में ठेकेदार और पीआईयू की लापरवाही से भवन निर्माण अधर में लटक गया।
दूसरी बार भी मिली राशि, जारी रही लापरवाही
राज्य शासन द्वारा 13वें वित्त आयोग योजना के बंद होने के बाद अधर में लटके ट्रॉमा यूनिट भवन निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 10फरवरी 2016 को 399.69 लाख रुपए की पुनरीक्षित स्वीकृति प्रदान की गई। इसके बाद अतिरिक्त परियोजना संचालक (पीआईयू ) द्वारा भवन की ड्राइंग में परिवर्तन के निर्देश दिए गए। 29 अगस्त 2016 को परिवर्तित ड्राइंग भी प्रदान कर गई।
राज्य शासन द्वारा 13वें वित्त आयोग योजना के बंद होने के बाद अधर में लटके ट्रॉमा यूनिट भवन निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 10फरवरी 2016 को 399.69 लाख रुपए की पुनरीक्षित स्वीकृति प्रदान की गई। इसके बाद अतिरिक्त परियोजना संचालक (पीआईयू ) द्वारा भवन की ड्राइंग में परिवर्तन के निर्देश दिए गए। 29 अगस्त 2016 को परिवर्तित ड्राइंग भी प्रदान कर गई।
महज जुर्माना लगाकर छोड़ा
स्वास्थ्य महकमे की रिपोर्ट पर गौर करें तो हर साल सड़क हादसों में मौत का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। इनमें बड़ी संख्या में एेसे भी घायल शामिल थे, जिन्हें बेहतर चिकित्सा मुहैया कराकर बचाया जा सकता था। लेकिन, भवन निर्माण पूरा नहीं हो पाने के कारण लोगों को जान देकर कीमत चुकानी पड़ रही है। विधानसभा में मामला गूंजा तो पीआईयू के जिम्मेदारों ने अपनी गर्दन बचाने महज जुर्माना लगाकर कागजी खानापूर्ति कर दी।
स्वास्थ्य महकमे की रिपोर्ट पर गौर करें तो हर साल सड़क हादसों में मौत का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। इनमें बड़ी संख्या में एेसे भी घायल शामिल थे, जिन्हें बेहतर चिकित्सा मुहैया कराकर बचाया जा सकता था। लेकिन, भवन निर्माण पूरा नहीं हो पाने के कारण लोगों को जान देकर कीमत चुकानी पड़ रही है। विधानसभा में मामला गूंजा तो पीआईयू के जिम्मेदारों ने अपनी गर्दन बचाने महज जुर्माना लगाकर कागजी खानापूर्ति कर दी।
जुलाई 17 में पूरा होना था
पुनरीक्षित राशि स्वीकृति और परिवर्तित ड्राइंग के बाद ठेकेदार को 12 जुलाई 2017 तक भवन का निर्माण कार्य पूरा करना था। लेकिन, एक बार फिर यह समय पर पूरा नहीं हो पाया। ठेकेदार को पांचवीं बार फरवरी 18 तक का एक्सटेंशन दिया गया है। अभी भी निर्माण की गति इतनी धीमी है कि इसके निर्धारित समय पर पूरा होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
पुनरीक्षित राशि स्वीकृति और परिवर्तित ड्राइंग के बाद ठेकेदार को 12 जुलाई 2017 तक भवन का निर्माण कार्य पूरा करना था। लेकिन, एक बार फिर यह समय पर पूरा नहीं हो पाया। ठेकेदार को पांचवीं बार फरवरी 18 तक का एक्सटेंशन दिया गया है। अभी भी निर्माण की गति इतनी धीमी है कि इसके निर्धारित समय पर पूरा होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।