दरअसल, रघुराजनगर तहसील के पटवारी हल्का महदेवा में नामांतरण का एक फैसला हुआ था। उसमें अभिलेख दुरुस्तगी के आदेश न्यायालय ने दिए थे। लेकिन पटवारी रानू ठाकुर इसमें विलंब कर रही थी। कथित तौर पर इसके लिए उनके द्वारा 5 लाख रुपए मांगे जा रहे थे। इसको लेकर तमाम विवाद की स्थिति बन गई थी। दोनों पक्षों की ओर से कलेक्टर को शिकायत की गई थी। इस पर कलेक्टर ने जांच की जिम्मेदारी एसडीएम रघुराजनगर पीएस त्रिपाठी को दी थी। मंगलवार को एसडीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर सतेन्द्र सिंह ने पटवारी रानू ठाकुर को समय पर अभिलेख दुरुस्त न करना, फाइल वापस न करना, स्वेच्छाचारिता के मामले में निलंबित करते हुए उन्हें तहसील कार्यालय में अटैच कर दिया है।
बंद होगी पटवारियों की मनमानी
पूरे प्रकरण के बाद मैदानी राजस्व अमले की पूरा काला चिट्ठा भी सामने आ गया है। महकमे की भद्द भी पिटी है। इसको देखते हुए एसडीएम रघुराजनगर ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने सभी पटवारियों के लिए आदेश जारी करते हुए कहा कि हर मंगलवार को प्रत्येक पटवारी तहसील आएगा। यहां सप्ताहभर में जितने भी दुरुस्तगी के आदेश होंगे, उनके अभिलेख दुरुस्त करेगा। इसके पश्चात खसरा नस्ती में लगाएगा। अब से कोई भी नस्ती पटवारियों को नहीं दी जाएंगी। इसी तरह से जिन मामलों में पटवारी प्रतिवेदन की आवश्यकता है वे प्रकरण भी मंगलवार को लगाए जाएंगे।
तहसीलदार आर्डर शीट में लिखें सही आदेश रानू ठाकुर प्रकरण में जब कलेक्टर ने दुरुस्तगी संबंधी आदेश तलब किया तो पाया कि इसमें अधिकारी ने गलत आदेश किया है। अधिकारी ने एक साथ ही अभिलेख दुरुस्त हो पश्चात प्रकरण नस्तीबद्ध हो लिखा था। इस पर कलेक्टर ने आपत्ति जाहिर की थी। इसके बाद एसडीएम ने सभी तहसीलदारों को जारी निर्देश में कहा कि देखने में आ रहा कि तहसीलदार और नायब तहसीलदार अभी भी रिकार्ड दुरुस्त हो और प्रकरण नस्तीबद्ध हो लिख रहे हैं तथा रेकॉर्ड दुरुस्तगी के प्रमाण में खसरे की नकल नहीं लग रही है। इसलिए अब यह सुनिश्चित किया जाए कि आदेश पारित होने के बाद रिकार्ड दुरुस्तगी के लिए प्रकरण नियत करें। रेकॉर्ड दुरुस्त होने पर प्रकण में खसरे की नकल संलग्न की जाए। इसके बाद प्रकरण नस्तीबद्ध करने का आदेश अलग से जारी किया जाए।
जांच के निर्देश
एसडीएम ने इसके साथ ही तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को कहा कि पिछले किन आदेशों में अभिलेख दुरुस्त नहीं हुए हैं उसकी जांच की जाए और इसके लिये कौन दोषी है उसकी जानकारी प्रस्तुत करें। साथ ही इन प्रकरणों के अभिलेख तत्काल दुरुस्त करवाए जाएं।