राज्य सरकार को देना होगा जवाब जल जीवन मिशन की जब केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने समीक्षा प्रारंभ की तो अधिकारियों ने फोल्डर में लिखी जानकारी बतानी शुरू की। यह देख मंत्री ने तल्खी दिखाते हुए कहा कि मुझे एजेंडा मत बताओ। फोल्डर मेरे पास भी है। इतनी बड़ी योजना समय पर क्यों नहीं चल रही है। काम इतना पीछे क्यों है। इस पर जल जीवन मिशन के अधिकारियों ने सफाई दी कि कोविड काल के चलते और वन विभाग की एनओसी नहीं मिलने के कारण समय पर काम नहीं हो पाया है। यह सुन मंत्री भड़क गए। कहा, ये जो बड़े बड़े फोल्डर दिखा रहे हैं इससे कोई मतलब नहीं है। दो पन्ने की जानकारी में ही सारी बात आ जाती है। मेरी योजना मेरे मध्यप्रदेश में ही इतना पिछड़ रही है। जबकि जम्मू कश्मीर जैसे राज्य जहां काम करने के ही 6 महीने मिलते हैं वहां काम पूरा हो गया है। इस मामले में मैं अब राज्य सरकार से पूछूंगा। समय पर काम करने की आदत डालें और पूरा प्रयास करें कि समय पर काम हो। जो भी बाधाएं हैं उनके लिये समन्वय बनाएं। सबसे पहली चुनौती परियोजना कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण करने की है।
इतने कम ओडीएफ क्यों केन्द्रीय मंत्री ने स्वच्छता मिशन की जब जानकारी ली तो पाया कि 2200 गांवों के लक्ष्य के विरुद्ध 224 ही ओडीएफ हुए हैं। इस पर मंत्री ने असंतोष जताते हुए कहा कि इतने कम ओडीएफ क्यों हुए? जिसका स्पष्ट जवाब नहीं आया। इस पर मंत्री ने कहा कि जल शक्ति का पूरा उपयोग करे। शौचालयों की सफाई के लिये सामुदायिक स्वच्छता परिसरों तक पानी पहुंचे। सभी धार्मिक परिसर, स्कूल, आंगनबाड़ी जगहों पर पानी पहुंचाए। अपशिष्ट निस्तारण के लिये जल शक्ति की उपयोगिता समझें।
आंकड़ों में अंतर पर नाराजगी एक जिला एक उत्पाद योजना की समीक्षा के दौरान जब खाद्य प्रसंस्करण यूनिट की स्वीकृति की समीक्षा के दौरान जिले के उपसंचालक ने बताया कि 11 प्रकरण स्वीकृत हो गये हैं और 9 को वितरित हो चुके हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि मेरे पास जो आंकड़े हैं उसमें तो सब शून्य दिखा रहे हैं। उपसंचालक ने कहा कि पता नहीं यह डाटा कहां से आया है। यह सुन मंत्री भड़क गये। कहा कि यह आंकड़े मैंने नहीं बनाए हैं आपके विभाग से ही मिले हैं। आपके एमडी से पूछूंगा कि यह गलत जानकारी कैसे दी जा रही है।
प्रशिक्षण और इवेंट में अंतर होता है खाद्य प्रसंस्करण के मामले में मंत्री ने कहा कि आप लोगों को प्रशिक्षण भी दीजिए। इस पर बताया गया कि दो प्रशिक्षण आयोजित किये जा चुके हैं। इसमें एक में प्रदेश के खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भी आए थे। इस पर मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षण और इवेंट में अंतर होता है। मंत्री जी आए थे तो इवेंट कर दिया गया। लेकिन लोगों को वास्तविक प्रशिक्षण दीजिये। इसी तरह से जल प्रदाय योजनाओं को लेकर समूहों को प्रशिक्षण देना प्रारंभ करें। क्योंकि आगे चल कर इनके संचालन का जिम्मा इन्हीं समूहों को देना है। लिहाजा समूहों को आवश्यक प्रशिक्षण एवं प्लंबर आदि की स्थानीय उपलब्धता के लिए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाए।
सांसद ने मंत्री के सामने रखी मांग इस दौरान सांसद गणेश सिंह ने बताया कि रामनगर विकासखंड से पानी पहाड़ के इस पार लाने गोरसरी पहाड़ मे टनल का काम चल रहा है। टनल का कार्य अभी 10 प्रतिशत हुआ है। मैनुअल सुरंग में 130 मीटर की खुदाई हुई है। जबकि 1500 मीटर की टनल बनाई जानी है। इसके अलावा जिले के शेष तीन विकासखंडों के 785 गांवों के लिए 1874 करोड़ की बाणसागर द्वितीय ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना बनाई गई है। इसे राज्य स्तर से स्वीकृति दी जाकर केंद्र सरकार को भेजा गया है। उन्होंने केंद्रीय राज्यमंत्री से इस योजना को स्वीकृति दिलाने और बरगी दाईं तट नहर में स्लीमनाबाद की टनल निर्माण की रुकावट को दूर करने और कार्य में और अधिक तेजी लाने केंद्रीय सरकार के मंत्रालय स्तर पर भी समीक्षा करने की मांग की।
परियोजना एक नजर में
- परियोजना का नाम - बाणसागर ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना
- इतने गांवों को लाभ - 1019
- गांवपरियोजना लागत - 1135 करोड़
- कार्य की स्थिति - 77 फीसदी काम हुआ
- कार्य पूर्णता अवधि - 31 मार्च 2023