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सीमेंट फैक्ट्री की डस्ट में दब गया मजदूर, मौत

locationसतनाPublished: May 29, 2019 12:29:02 am

Submitted by:

Dhirendra Gupta

बिड़ला सीमेंट फैक्ट्री में हुआ हादसा, मुआवजे की मांग पर अड़े रहे परिजन, सात घंटे बाद उठने दिया मौके से शव

Workers buried in cement factory dust, death

Workers buried in cement factory dust, death

सतना. बिड़ला फैक्ट्री में काम कर रहा एक मजदूर लापरवाही की भेंट चढ़ गया। काम के दौरान कन्वेयर बेल्ट की डस्ट का ढेर उसके ऊपर गिरा और वह दब गया। आस पास मौजूद मजदूरों ने गौर किया तो डस्ट में दबे साथी को बचाने की कोशिश की गई। लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुका था। मंगलवार की दोपहर करीब 12 बजे हुए इस हादसे की खबर मजदूर के घर पहुंची तो हड़कंप मच गया। इधर, साथी मजदूर की मौत से नाराज मजदूर आगे आए और पीडि़त परिवार के साथ खड़े हो गए। मृतक के अश्रितों को मुआवजे की मांग को लेकर फैक्ट्री परिसर में ही प्रदर्शन चलता रहा। जब मजदूरों की मांग पूरी हुई तो सात घंटे बाद मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल रवाना किया गया।
सूत्रों के अनुसार, रीवा जिले के सगरा गावं का रहने वाले जितेन्द्र सिंह पुत्र राजभान सिंह (36) की डस्ट में दबने से मृत्यु हुई है। जितेन्द्र यहां बिड़ला फैक्ट्री में आरके बिल्डर्स के राजू अग्निहोत्री के अंतर्गत ठेके में काम करता था। उसके साथ काम करने वाले मजदूरों का कहना था कि जितेन्द्र बिना सुरक्षा साधनों के हापड़ में चढ़कर सफाई का काम कर रहा था। तभी ऊपर से अचानक सीमेंट के डस्ट का ढेर गिरा और वह उसमें दब गया। बताते हैं कि डस्ट गरत होती है जिसमें दबे रहने से जितेन्द्र ने दम तोड़ दिया। घटना की खबर पाते ही सीएसपी विजय प्रताप सिंह, टीआइ थाना कोलगवां आरपी सिंह, नायब तहसीलदार शैलेन्द्र शर्मा समेत भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा।
नहीं उठने दिया शव
जितेन्द्र का परिवार फैक्ट्री क्वाटर नंबर 6 में रहता है। साथ में काम करने वाले मजदूर ने उसकी पत्नी को खबर दी कि एक्सीडेंट हुआ है। जब जितेन्द्र का परिवार फैक्ट्री पहुंचा तो वहां का माहौल देख सभी फूट पड़े। कुछ देर बाद उसके गांव से रिश्तेदार भी आए और सभी मुआवजे की मांग पर अड़ गए। शव उठाने से सभी ने मना कर दिया। फैक्ट्री के बाकी मजदूर भी काम बंद कर पीडि़त परिवार के साथ आ गए।
मानी बात तब उठा शव
पीडि़त परिवार और मजदूर यूनियन को सीएसपी के साथ नायब तहसीलदार और टीआइ भी समझाते रहे। लेकिन सभी इस बात पर अड़े थे कि फैक्ट्री प्रबंधन मृतक की पत्नी को तत्काल सहायता राशि, पेंशन, बच्चों की पढ़ाई का खर्च, भविष्य के लिए मुआवजा और रहने की व्यवस्था करे। टीआइ आरपी सिंह ने बताया कि फैक्ट्री के शीर्ष अधिकारी अवकाश पर होने के कारण मांग पूरी होने में समय लगा। शाम करीब 7 बजे जब मृतक के आश्रितों को अंतिम संस्कार के लिए 51 हजार रुपए नकद, पत्नी को पेंशन, 12वीं तक बच्चों की पढ़ाई का खर्च, आवास सुविधा और मुआवजा देने पर फैक्ट्री प्रबंधन राजी हुआ तो शव उठाया जा सका। उन्होंने बताया कि मुआवजे का चेक एक सप्ताह में फैक्ट्री प्रबंधन देगा।
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