अक्टूबर में धवारी निवासी प्रसूता स्मिता पाण्डेय की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। उनके परिजनों ने इंजेक्शन के ओवरडोज को इसकी वजह बताते हुए हंगामा कर दिया। उनके समर्थन में आप पार्टी नेता रीतेश त्रिपाठी भी आ गए। अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। देखते ही देखते कुछ ही देर में मामला बिगड़ गया और स्थिति झूमाझटकी तक पहुंच गई। हालात यहां तक पहुंच गए कि टीआई की शर्ट तक हंगामे में फट गई। बाद में इस मामले का आरोपी पुलिस ने रीतेश को बनाया।
जिला अस्पताल के खाते में कई घटनाएं भी सामने आईं जो इसके स्याह पक्ष को सामने रख बदनुमा धब्बा छोड़ गईं। मार्च माह में जिला अस्पताल में स्टाफ की लापरवाही की पराकाष्ठा सामने आई। पन्ना जिले के सेमरिया गांव निवासी महिला को प्रसव पीड़ा में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेबर रूम में प्रसूता को दाखिल किया गया, लेकिन यहां का स्टाफ मोबाइल चैटिंग में इतना व्यस्त हो गया कि नवजात कचरे की बाल्टी में गिर गया। आनन-फानन फिर उसे एनसीएनयू में भर्ती कराया गया।
आपात चिकित्सा मुहैया कराने या आपात स्थिति में त्वरित इलाज शुरू करने जिला अस्पताल परिसर में ट्रामा यूनिट कई साल से बन रही है। माना जा रहा था कि इस साल इस यूनिट का उद्घाटन हो जाएगा। लेकिन, निर्माण एजेंसी की लचर कार्यशैली के कारण इस साल भी ट्रामा यूनिट पूरी नहीं हो सकी। निर्माण को लेकर पूरे साल यह बिल्डिंग चर्चाओं में बनी रही। सबसे ज्यादा इस भवन की चर्चा तब हुई थी जब अमरपाटन में बारात लेकर लौट रही एक बस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी और कई लोगों की मौत हो गई थी।
अमरपाटन के सेमरीकला निवासी केदार प्रसाद द्विवेदी ने मृत्योपरांत अपने अंगदान कर तीन लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर सतना के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज करा लिया। जबलपुर में हुए एक सड़क हादसे में तमाम प्रयासों के बाद भी नहीं बच सके द्विवेदी को चिकित्सकों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। तब उनके परिजनों ने केदार के अंगदान का निर्णय लिया और गुर्दा, किडनी और कार्निया दान कर तीन लोगों की जिंदगी में खुशियां भर दी। इसके लिए पहली बार जबलपुर में ग्रीन कारीडोर बनाया गया।
जिला अस्पताल परिसर के बाहर दशकों पुराना भवन इस साल धराशायी कर दिया गया। लोनिवि द्वारा जर्जर घोषित इस भवन के स्थल में पहले जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर खोलने का प्लान था। लेकिन, उपयुक्त स्थितियां नहीं बन पाने पर इसे सीएमएचओ दफ्तर के पास स्थानान्तरित किया गया था। यहां के जर्जर भवन गिरने के बाद अब खाली हुई जमीन को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। एक ओर यहां डाक्टर्स और स्टाफ के लिए रेसीडेसिंयल मल्टी बनाने पर विचार चल रहा है वहीं ट्रामा यूनिट के लिहाज से यहां पार्किंग के रूप में तैयार करने की दिशा में भी सोचा जा रहा है।