छोड़ दें इस बुरी लत को
समाजशास्त्री डॉ. किरन सिंह का कहना है कि अगर हम किसी स्मोकर की बात करें तो उनका हर दिन का स्मोकिंग खर्च ५० से १०० रुपए के बीच का होता है। स्मोकिंग छोडऩे पर उनके यह रुपए बच जाएंगे। उनका इस्तेमाल अन्य चीजों के लिए कर सकते हैं। धूम्रपान छोड़ेंगे तो आपकी काम करने की क्षमता बढ़ जाएगी। बार-बार सिगरेट पीने की आदत के कारण समय की बर्बादी भी होती है। फिजिकली और मेंटली स्ट्रांग होंगे। साथ ही कई बीमारियों से निजात मिल सकेगी। जो लोग आपको स्मोकिंग की वजह से पसंद नहीं करते, उनसे आपकी रिलेशनशिप अच्छी होगी। घर और समाज से कटने की बजाय उनसे जुडऩे लगेंगे। अपने बच्चों और छोटों के लिए उदाहरण बन सकेंगे। उनको अधिकार के साथ बोल पाएंगे कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
समाजशास्त्री डॉ. किरन सिंह का कहना है कि अगर हम किसी स्मोकर की बात करें तो उनका हर दिन का स्मोकिंग खर्च ५० से १०० रुपए के बीच का होता है। स्मोकिंग छोडऩे पर उनके यह रुपए बच जाएंगे। उनका इस्तेमाल अन्य चीजों के लिए कर सकते हैं। धूम्रपान छोड़ेंगे तो आपकी काम करने की क्षमता बढ़ जाएगी। बार-बार सिगरेट पीने की आदत के कारण समय की बर्बादी भी होती है। फिजिकली और मेंटली स्ट्रांग होंगे। साथ ही कई बीमारियों से निजात मिल सकेगी। जो लोग आपको स्मोकिंग की वजह से पसंद नहीं करते, उनसे आपकी रिलेशनशिप अच्छी होगी। घर और समाज से कटने की बजाय उनसे जुडऩे लगेंगे। अपने बच्चों और छोटों के लिए उदाहरण बन सकेंगे। उनको अधिकार के साथ बोल पाएंगे कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
सिगरेट पीने से होने वाला नुकसान शहर के डॉक्टर्स की मानंे तो सिगरेट और बीड़ी में विषैला कार्बन होता है। यह शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। ज्यादा सिगरेट पीने वाले व्यक्ति को यदि सिगरेट नहीं मिले तो शरीर में निकोटिन की कमी होने से उसे गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, हाथ पैर कांपना, कमजोरी महसूस होने लगती है। यह एक तरह की साइकोलॉजिकल समस्या होती है। यही नहीं, अधिकता करने पर फेफडे़ खराब हो जाते हैं। कभी कभी तो कैंसर भी हो जाता है।
युवाओं में यह एक विकराल और गंभीर समस्या देखने को मिल रही है। पहले बड़े ही सिगरेट को हाथ लगाते थे पर अब तो १३ से ३० साल के युवक सिगरेट पीने लगे हंै। एेसे कई युवा अस्पताल में आ चुके हैं जिनको सिगरेट पीने से लंग्स की प्राब्लम हो गई। हालांकि अगर बच्चे और युवाओं को मोटिवेट किया जाए, डॉक्टर के नेतृत्व में ट्रीटमेंट दिया जाए तो उन्हें इस बुरी लत से तुरंत छुड़ाया जा सकता है।
डॉ. एमएस तोमर , जिला अस्पताल
डॉ. एमएस तोमर , जिला अस्पताल
शहर के युवा और बच्चे सिगरेट पी रहे हैं। यह उनमें बढ़ते तनाव का ***** है। समाज में इसके चलते उन्माद, क्षणिक हिंसा, झगड़ा व पारिवारिक परिवेशिक तनाव बढऩे की संभावना बनी रहेगी। इस समस्या को परामर्श या काउंसलिंग, निगरानी व हेल्दी पारिवारिक वातावरण प्रदान कर सुधारा जा सकता है। इसमें परिवार को अहम भूमिका निभानी होगी। वह बच्चों पर बराबर नजर रखें।
डॉ. एससी राय, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र बच्चों में भी यह बुरी लत अब देखने को मिलने लगी है। बच्चे स्टाइल सिबॉल के चलते इसे अपना रहे हैं और युवा तनाव के चलते इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। दोनों ही सूरत में यह बच्चों और युवाओं के लिए हानिकारक है। एक बार किसी बात का लत लग गई तो उसे छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। इसे मोटिवेशन और दृढ़ संकल्प कर ही छोड़ा जा सकता है।
डॉ. दिवाकर सिंह सिकरवार, साइकोलॉजिस्ट
डॉ. दिवाकर सिंह सिकरवार, साइकोलॉजिस्ट