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जिला पंचायत से भुगतान के लिए अड़े दुकानदार को कोर्ट में लाभ पहुंचा रहे सहायक यंत्री

locationसतनाPublished: Mar 23, 2019 05:42:36 pm

Submitted by:

suresh mishra

जिपं सीइओ ने जारी किया नोटिस: आदेश के बाद भी न्यायालय में नहीं रख रहे पक्ष

zila parishad ka kam janpad panchayat ke kam

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सतना। मनरेगा में अपनी प्रतिनियुक्ति को लेकर विवादों में रहने वाले सहायक यंत्री समीर श्रीवास्तव एक बार फिर विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। हालिया मामला गड़बड़झाले के दोषी को न्यायालय में बचाने से जुड़ा है। मामले में शासन की ओर से उन्हें उच्च न्यायालय में स्थगन प्राप्त करने अग्रिम राशि भी दी गई साथ ही उनके द्वारा वकील बदलने के सुझाव पर भी आवश्यक निर्देश दिए गए। लेकिन श्रीवास्तव ने लापरवाही बरती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिपं सीइओ ने उन्हें नोटिस जारी किया है। कहा है कि अगर लापरवाही की वजह से डिक्री पारित होती है या वरिष्ठ अधिकारियों को न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया जाता है तो प्रकरण में संपूर्ण देनदारी की जिम्मेदारी उनकी होगी।
ये है मामला
बताया गया, वाटर शेड परियोजना के तहत राज शीड्स का कुछ भुगतान अटका हुआ था। 2000-2001 के आसपास तत्कालीन परियोजना अधिकारी ने राज शीड्स से उन्नत घास के बीज क्रय किए थे। इन बीजों को कंट्रूर ट्रंच के आसपास हरा भरा रखने लगाया जाता था। लेकिन किन्हीं कारणों वश यह भुगतान रोक दिया गया था। जिस पर राज शीड्स ने षष्टम जिला न्यायालय सतना में व्यवहारवाद दाखिल कर दिया। इसमें परियोजना अधिकारी मिली वाटर शेड एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया। फैसला वादी राज शीड्स के पक्ष में गया था।
अधिवक्ता बदलने का लेख किया
मामले में स्थगन लेने उच्च न्यायालय में अपील करने सहायक यंत्री मनरेगा समीर श्रीवास्तव को अधिकृत करते हुए अग्रिम राशि का भुगतान भी किया गया। श्रीवास्तव ने प्रकरण में स्थगन प्राप्त न करते हुए अधिवक्ता बदलने का लेख किया। जिस पर भी जिला पंचायत से इस संबंध में भी आवश्यक निर्देश जारी किए गए थे। इसके बाद भी उच्च न्यायालय में अभी तक कोई कार्यवाही व निराकरण के संबंध में जिपं सीईओ को जानकारी नहीं दी गई। न ही प्रकरण में वादोत्तर प्रस्तुत करने की प्रति उपलब्ध कराई गई।
राशि जमा करने को कहा
श्रीवास्तव को जारी नोटिस में बताया गया कि राज शीड्स ने षष्टम न्यायालय के डिक्री के विरुद्ध राशि जमा करने की अपील की गई है। पेशी 11 मार्च को थी जिसे बढ़ा दिया गया है। यदि प्रकरण में हाइकोर्ट का स्थगन प्राप्त नहीं होता है तो डिग्री पारित हो सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों को भी कोर्ट के संज्ञान में लिया जा सकता है। यह स्थिति तब है जब प्रकरण की पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने इसकी जानकारी समीर श्रीवास्तव को दी है। नोटिस में कहा गया कि प्रकरण में अब ३० मार्च के पहले स्थगन प्राप्त कर वस्तु स्थिति से अवगत कराएं अन्यथा प्रकरण की समुचित पैरवी व समय पर वादोत्तर प्रस्तुत न करने की स्थिति में डिग्री पारित होने पर देनदारी की जिम्मेदारी सहा. यंत्री समीर श्रीवास्तव की होगी।
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