आयोजन से जुड़े मनोज कुनकटा ने बताया कि कलश यात्रा गांव स्थित सीतारामजी के मंदिर से विधिवत पूजन के साथ प्रारम्भ हुई। महिलाएं सिर पर कलश धारण कर बैंडबाजों के साथ मंगल गीत गाती चल रही थीं। वहीं कुछ महिलाएं डीजे की धुन पर नृत्य कर रही थीं। ग्रामीण उत्साह के साथ भोजा बाबा के जयकारे लगाते आगे बढ़ रहे थे। कलश यात्रा पर रास्ते में जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई।
हृदय को पवित्र करने वाला हर कार्य पुण्य : भागवत कथावाचक छैल बिहारी शास्त्री ने पहले दिन कथा का महात्यम बताते हुए कहा कि धर्म का प्रयोजन मोक्ष के लिए होता है। धर्म को धन प्राप्ति का मार्ग नहीं समझें। भगवान ने धन, धर्म के लिए दिया है। इसे व्यर्थ ही भोग में खर्च नहीं करना चाहिए, जो भी वस्तु हमारे हृदय को पवित्र करती है। वही असल में पुण्य कहलाता है।