यह था मामला
राजस्थान के कई छात्र गत दस अक्टूबर को मध्यप्रदेश में उच्च अध्ययन में दाखिला लेने के लिए दस्तावेजों का सत्यापन कराने जबलपुर गए तो वहां न्यायालय के आदेशों का हवाला देकर विश्व विद्यालय प्रबंधन ने उनसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की डिग्री व एफिलेशन के बारे में पूछा। इस पर विद्यार्थियों ने बताया कि राजस्थान के कॉलेज कोटा, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर आईसीएआर से मान्यता प्राप्त है। इसपर सूची में चैक किया तो बीकानेर का मान्यता का नवीनीकरण नहीं हुआ था। वहीं जब कोटा, जोबनेर, जोधपुर विश्वविद्यालय की बात आई तो आईसीएआर की लिस्ट में था, लेकिन इन विश्व विद्यालय के अधीन आने वाले सरकारी व निजी महाविद्यालयों की आईसीएआर से मान्यता नहीं थी। ऐसे में विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया गया।
कृषि महाविद्यालयों को संचालन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से मान्यता लेनी होती है। लेकिन राजस्थान के अधिकतर कॉलेजों के पास आईसीएआर की मान्यता नहीं है। यहां केवल कोटा कृषि विश्वविद्यालय से ही मान्यता मिली हुई है।
1971 में कॉलेज शुरू हुआ
1982 में कॉलेज में कृषि संकाय
240 विद्यार्थी अध्ययनरत है कृषि संकाय में
04 वर्षीय पाठ्यक्रम का होता है संचालन
09 व्याख्याता है कृषि संकाय के
महाविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार आईसीएआर से मान्यता के लिए कई मापदण्ड निर्धारित है। इसमें कृषि संकाय के लिए अलग महाविद्यालय भवन, कृषि फार्म,अलग से व्याख्याता व प्रयोगशाला आदि का होना आवश्यक है। लेकिन स्थानीय महाविद्यालय में कृषि संकाय के लिए अलग से भवन नहीं है। ऐसे में आईसीएआर मान्यता नहीं दे रही है।
राजस्थान के बाहर आईसीएआर से मान्यता नहीं होने वाले कॉलेजों व विश्व विद्यालयों के विद्यार्थियों को नौकरी व उच्च अध्ययन में प्रवेश नहीं मिलने के कारण पीजी कॉलेज के कृषि संकाय के 240 विद्यार्थियों का भविष्य अधरझूल में लटक गया है। पीजी कॉलेज में कोटा विश्व विद्यालय की ओर से कृषि संकाय का चार वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित है। इसमें कुल 240 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।