scriptभ्रष्टाचार के गूंजे नारे, पार्षदों ने नगरपरिषद कार्यालय का गेट किया बंद | Anti-corruption slogans, councilors shut the municipal council office | Patrika News

भ्रष्टाचार के गूंजे नारे, पार्षदों ने नगरपरिषद कार्यालय का गेट किया बंद

locationसवाई माधोपुरPublished: Aug 13, 2019 08:59:34 pm

Submitted by:

Rajeev

गंगापुरसिटी . नगरपरिषद में कथित भ्रष्टाचार। पार्षदों की सुनवाई नहीं होने। बदहाल सफाई व्यवस्था। जलभराव की समस्या से राहत दिलाने के नाकाफी इंतजाम एवं ठेकेदारों पर मनमर्जी का आरोप लगाते हुए कुछ पार्षदों ने मंगलवार को नगरपरिषद कार्यालय पर हंगामा करते हुए कार्यालय के गेट को बंद कर दिया। हंगामे के दौरान पार्षदों ने ‘नगरपरिषद प्रशासन मुर्दाबाद’ एवं ‘भ्रष्टाचार बंद करो’ सरीखे नारे लगाए। हंगामा बढ़ता देख आयुक्त मौके पर पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी। बाद में एसडीएम विजेन्द्र कुमार मीना ने समझाइश कर मामला शांत कराया।

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भ्रष्टाचार के गूंजे नारे, पार्षदों ने नगरपरिषद कार्यालय का गेट किया बंद

गंगापुरसिटी . नगरपरिषद में कथित भ्रष्टाचार। पार्षदों की सुनवाई नहीं होने। बदहाल सफाई व्यवस्था। जलभराव की समस्या से राहत दिलाने के नाकाफी इंतजाम एवं ठेकेदारों पर मनमर्जी का आरोप लगाते हुए कुछ पार्षदों ने मंगलवार को नगरपरिषद कार्यालय पर हंगामा करते हुए कार्यालय के गेट को बंद कर दिया। हंगामे के दौरान पार्षदों ने ‘नगरपरिषद प्रशासन मुर्दाबाद’ एवं ‘भ्रष्टाचार बंद करो’ सरीखे नारे लगाए। हंगामा बढ़ता देख आयुक्त मौके पर पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी। बाद में एसडीएम विजेन्द्र कुमार मीना ने समझाइश कर मामला शांत कराया।

शहर में ईद से पहले वार्डों में सफाई नहीं होने, अतिक्रमण हटाते समय लोगों से बदसलूकी किए जाने, मोर्रम मिट्टी डालने में अनियमितता होने, आवारा जानवरों को पकडऩे वाले ठेके को निरस्त करने, एलईडी लाइट के अभाव में वार्डों में अंधेरा होने, संविदा पर कार्यरत कार्मिकों को चेक से भुगतान करने, शौचालय बनवाने वालों को किस्त नहीं मिलने, सालोदा मोड़ और ईदगाह मोड़ के फाउंटेन बंद होने एवं चूली वाले नाले से अतिक्रमण हटाने आदि की समस्याओं को लेकर नगरपरिषद कार्यालय पहुंचे पार्षदों ने हंगामा कर दिया। पार्षदों ने हंगामा और नारेबाजी करते हुए नगरपरिषद के मुख्य गेट को साफी बांधकर बंद कर दिया।
सूचना पर आयुक्त ऋषिदेव ओला मौके पर पहुंचे और पार्षदों से बात की, लेकिन इस दरिम्यान पार्षद नगरपरिषद प्रशासन पर आरोप लगाते रहे। इसके बाद एसडीएम विजेन्द्र कुमार मीना पहुंचे और उन्होंने पार्षदों से बैठकर बात करने को कहा। इस पर पार्षदों ने मुख्य गेट को खोलकर मीटिंग हॉल में एसडीएम के साथ वार्ता की। इस दौरान पूर्व सभापति हरिप्रसाद बोहरा एवं कौशल बोहरा भी मौके पर पहुंचे और पार्षदों से बात की। इस बीच बिंदुवार समस्याओं पर चर्चा हुई। समाधान के आश्वासन के बाद पार्षद राजी हुए। हंगामे के बीच सुरक्षा के लिहाज से पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। जलभराव वाले स्थानों पर पांच दिन में मिट्टी-मोर्रम डलवाने पर सहमति बनी। इस मौके पर पार्षद शौकत अली, वेदप्रकाश सोनवाल, अशोक शर्मा, लोकेश मीणा, शैलेन्द्र मीणा, गंगासहाय मीणा, जरीना बानो, राजेश जैमिनी समेत दर्जनों पार्षद मौजूद रहे।

आखिर समाधान क्यों नहीं?


पार्षदों बातचीत के दौरान एसडीएम मीना ने लिखित में मिलीं समस्याओं पर बिंदुवार चर्चा की। एसडीएम ने कहा कि यह ऐसी समस्याएं हैं, जिनको लेकर मैं पहले भी निर्देश दे चुका हूं। आखिर समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हो रहा? एसडीएम ने टेंडर के जरिए काम कराने की नसीहत दी।

कागजों में पकड़े जानवर


बैठक में पार्षदों ने कहा कि आवारा जानवरों के विचरण से आए दिन हादसे हो रहे हैं। फरवरी में टेंडर होने के बाद भी यह जानवरों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। आरोप लगाए कि भुगतान में भी फर्जीवाड़ा हो रहा है। एसडीएम ने इस समस्या को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करने की बात कही। इसके अलावा पट्टे देने एवं निर्माण स्वीकृति पर भी पार्षदों ने आवाज उठाई। इस पर एसडीएम ने नियमानुसार काम करने की बात कही।

गूंजा शौचालय भुगतान का मामला


पार्षदों ने आरोप लगाए कि लोगों को शौचालय बनवाने वालों का भुगतान नहीं हो रहा है। पहली किस्त मिलने के बाद दूसरी किस्त लोगों को नहीं मिली है। इस पर एसडीएम ने ऐतराज जाहिर करते हुए कहा कि इस मामले की जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाए। गलत पैसा उठाने वालों के खिलाफ एफआईआर और वसूली जैसी कार्रवाई हो और वास्तविकता वालों को उनका पैसा दिया जाए। खास बात यह रही कि शौचालय भुगतान संबंधी कार्य देखने वाले तीन कार्मिक कई बार बुलावे के बाद एक साथ एसडीएम के समक्ष पहुंच सके।
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