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sawaimadhopur: बाल गृह में असहाय बच्चों के साथ बांटी दिवाली की खुशियां

locationसवाई माधोपुरPublished: Oct 21, 2017 05:52:29 pm

Submitted by:

Shubham Mittal

बाल गृह में असहाय बच्चों के साथ दिवाली

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सवाईमाधोपुर आलनपुर स्थित बालगृह में बच्चों को खाद्य सामग्री वितरित करते लोग।

सवाईमाधोपुर. भाजपा ग्रामीण मण्डल के कार्यकर्ताओं ने आलनपुर स्थित बाल गृह में असहाय बच्चों के साथ दिवाली मनाकर खुशियां बांटी। मण्डल अध्यक्ष अशोक राज मीना ने बताया कि इस अवसर पर बच्चों को मिठाई व पटाखेें वितरित किए और भोजन कराया। इस दौरान पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रवि मीना, महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष सुनिता वर्मा, लडड़़ू राठौड़, संजय शर्मा, गिरिजा मीणा, संदीप जैन, हरिकेश गुर्जर आदि मौजूद थे।



एबीवीपी ने मनाया दिवाली स्नेह मिलन समारोह
खण्डार. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इकाई खंडार की ओर से बुधवार को तहसील मुख्यालय पर नगर अध्यक्ष रमाकांत शर्मा की अध्यक्षता में दीपावली स्नेह मिलन समारोह मनाया गया। कार्यकर्ताओं ने सभी सरकारी कार्यालयों पर पहुंचकर संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों को तिलक लगाकर एवं मुंह मीठा कर दिवाली की शुभकामनाएं दी। इस दौरान चाइनीज वस्तुओं का उपयोग नहीं करने का आह्वान किया। कार्यक्रम की शुरुआत तहसील कार्यालय से की।




इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाना, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, विकास अधिकारी कार्यालय, पंचायत समिति, बैंक अधिकारियों के साथ दिवाली मनाई। कार्यक्रम में सभी कार्यकर्ताओं ने हाल ही में चयनित आरएएस अधिकारियों के घर पहुंचकर शुभकानाएं दी। इस मौके पर जिला विद्यालय प्रमुख मंगलसिंह, जिला सोशल मीडिया सह संयोजक पवन गुप्ता, भाजपा खण्डार आईटी सह संयोजक विवेक त्रिवेदी, कार्यक्रम संयोजक मनीष गौत्तम, पुष्पेन्द्र मथुरिया, सह संयोजक विजेन्द्र कुमार शर्मा, सतीश बैरवा आदि मौजूद थे।

समारोह 22 को
सवाईमाधोपुर. अग्रवाल समाज समिति शहर की ओर से 22 अक्टूबर को पुलिस चौकी के पास अग्रवाल भवन में दीपावली स्नेह मिलन समारोह मनाया जाएगा। प्रवक्ता अभिनव जैन ने बताया कि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नगर विकास न्यास अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल होंगे।
लोककथा : शुभ दिवाली
दिवाली की रात थी। एक कमरे में चार दीपक जल रहे थे। वे एक-दूसरे से दिल की बातें करने लगे। पहला दीपक बोला- ‘मैं शांतिदूत हूं, पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी जरूरत नहीं है। हर तरफ आपाधापी मची हुई है। मैं यहां अब और नहीं रह सकता।Ó ऐसा कहते हुए कुछ देर में वो दीपक बुझ गया। दूसरा दीपक बोला- ‘मैं विश्वास हूं, और मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच मेरी भी यहां कोई जरूरत नहीं है। मैं भी यहां से जा रहा हूं।Ó वह दीपक भी बुझ गया। तीसरा दीपक भी दुखी होते हुए बोला- ‘मैं प्रेम हूं। मेरे पास जलते रहने की ताकत है, पर आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के पास वक्त ही नहीं। दूसरों से तो दूर, लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं। मैं ये सब और नहीं सह सकता। मैं भी इस दुनिया से जा रहा हूं।


ऐसा कहते हुए तीसरा दीपक भी बुझ गया। वो अभी बुझा ही था कि एक मासूम बच्चा उस कमरे में दाखिल हुआ। दीपकों को बुझे देख उसे अच्छा नहीं लगा। दिवाली की रात यूं बुझे दीपक देख वह रुआंसा होते हुए बोला- ‘अरे, तुम जल क्यों नहीं रहे? तुम्हें तो अंत तक जलना है! तुम इस तरह बीच में हमें कैसे छोड़कर जा सकते हो।Ó तभी चौथा दीपक बोला- ‘प्यारे बच्चे, घबराओ नहीं। मैं आशा-दीपक हूं। जब तक मैं जल रहा हूं, हम बाकी दीपों को फिर से जला सकते हैं।Ó यह सुन बच्चे की आंखें चमक उठीं और वह बोल पड़ा- ‘शुभ दिवाली!Ó

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