फरवरी 2019 में बाघ टी-104 ने धाकड़ा वन क्षेत्र से निकलकर कुण्डेरा के पाडली गांव में आ गया था। यहां शौच के लिए जा रही एक महिला को बाघ ने अपना शिकार बना लिया था। इसके बाद यह बाघ सरसों के खेत में छिप गया था। वन विभाग की ओर से ड्रोन कैमरों की सहायता से बाघ की लोकेशन टे्रस करके 16 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाघ को टे्रकुंलाइज कर रेडियो कॉलर लगाकर रणथम्भौर के धाकड़ा वन क्षेत्र में छोड़ा गया था। इस मामले में विभाग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में बाघ के स्वभाव को उग्र माना गया है। साथ ही रणथम्भौर में बाघों के लिए जगह कम पडऩे का भी उल्लेख किया गया है।
इन बातों पर किया जा रहा गौर
वन विभाग की ओर से बाघ टी-104 की कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इसके लिए एक पांच सदस्यीय टे्रकिंग टीम व जांच कमेटी भी गठित की गई है। जांच के लिए गठित टीम में रणथम्भौर के वन अधिकारियों के साथ चिकित्सकों व वन्यजीव विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। यह कमेटी अब रणथम्भौर में बाघों को रेस्क्यू करके रखने के लिए बनाए गए एनक्लोजर, अन्य बाघों से टी-104 के टकराव की आशंका आदि बिंदुओं पर अध्ययन कर दो अलग-अलग रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो दस दिनों में विभाग की ओर से दोनों रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएंगी।
हालांकि वन अधिकारी एक रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज चुके हैं, लेकिन अभी टी-104 की किस्मत का फैसला नहीं हुआ है। अभी उच्च अधिकारियों को दो ओर रिपोर्ट का इंतजार है। पूर्व में एनटीसीए व वन विभाग की ओर से रणथम्भौर में बाघों की बढ़ती संख्या के कारण बाघों के लिए जगह कम पडऩे को लेकर रणथम्भौर से कुंभलगढ़, गिरी, धौलपुर आदि कई जंगलों में बाघों को शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है। ऐसे में टी-104 को किसी अन्य लोकेशन पर शिफ्ट करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।