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देर से आना, जल्दी चले जाना

locationभरतपुरPublished: Apr 25, 2017 11:34:00 am

Submitted by:

rajesh khandelwal

कलक्ट्रेट की नाक तले भी कर्मचारी समय को लेकर पाबंद नहीं है। जिला कलक्टर द्वारा कई बार कराए गए औचक निरीक्षण के बाद भी हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।

कलक्ट्रेट की नाक तले भी कर्मचारी समय को लेकर पाबंद नहीं है। जिला कलक्टर द्वारा कई बार कराए गए औचक निरीक्षण के बाद भी हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। राजस्थान पत्रिका ने सोमवार को कलक्ट्रेट के कई कार्यालयों का निरीक्षण तो यह बात सामने आई कि अधिकारी चाहे समय के पाबंद हों, लेकिन कर्मचारियों को समय की पाबंदगी की खास नहीं है। आश्चर्यजनक बात यह रही कि कार्यालय खुलने के दो कर्मचारी सीटों से नदारद थे, उनकी सीटें शाम को कार्यालय बंद होने से पहले ही फिर से खाली दिखीं।
सुबह के हालात

कार्यालय खुलने के समय को लेकर कुछ अधिकारियों तथा कर्मचारियों में तो पाबंदगी देखी गई जबकि कई इसे लेकर लापरवाह नजर आए। शुरुआत उपखण्ड अधिकारी कार्यालय से की। यहां स्वयं उपखण्ड अधिकारी पुष्कर मित्तल व कर्मचारी समय को लेकर पाबंद दिखे। लेकिन राजस्व अनुभाग, न्याय शाखा, रसद विभाग कार्यालयों में समय की पाबंदगी नजर नहीं आई। वन विभाग कर्यालय तथा कोषाधिकारी कार्यालय में ऐसा ही आलम दिखा। तहसीलदार भारती भारद्वाज, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशदीप सहित अन्य अधिकारी अपना कामकाज करते मिले, लेकिन इन्हीं के अधीन कार्यालयों की काफी सीटें खाली मिलीं।
शाम के हालात

सोमवार को शाम पांच बजकर चालीस मिनट पर कोषाधिकारी कार्यायल का निरीक्षण किया तो वहां कमरा नम्बर 12 में दो कर्मचारी उपस्थित थे। शेष कुर्सियां खाली थी। इसी तरह कमरा नम्बर नौ में कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था, जहां टेबिल-कुर्सियां खाली थी। स्थित रसद विभाग कार्यालय में कर्मचारी उपस्थित थे। वहीं अधिकारी जिला प्रशासन की मीटिंग में उपस्थित थे। इसी तरह राजस्व अनुभाग व कमरा नंबर 25 में स्थित लेखा अनुभाग में कुछ कर्मचारी कार्य करते मिले तो एक हिस्सा की कुर्सियां खाली थी। इसी तरह प्रबंधक खाद्य नागरिक आपूर्ति कार्यालय में अधिकारी की कुर्सी खाली थी और दो कर्मचारी एक तरफ कार्य कर रहे थे। पूछने पर पता चला की फील्ड में हैं।
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