कम्पोनेंट का यह लाभ
कम्पोनेंट के माध्यम से रक्त को अलग-अलग घटकों में विभाजित किया जा सकता है। रक्त से प्लेटलेटस, प्लाज्मा व आरबीसी को अलग किया जा सकता है। इसका लाभ यह है कि जिस मरीज को जिस घटक की जरूरत है, वह उपलब्ध कराया जा सके। प्लेटलेटस की जरूरत डेंगू पीडि़त व प्लाज्मा की आवश्यकता बर्न मरीजों को पड़ती है। इसी प्रकार खून की कमी से ग्रस्त एनीमिया पीडि़त को आरबीसी की आवश्यकता होती है। कम्पोनेंट की सुविधा शुरू होने से घटक अलग किए जाने से एक यूनिट रक्त से तीन रोगियों को लाभान्वित किया जा सकता है। सुविधा के अभाव में रोगियों को दूसरे शहर अथवा निजी हॉस्पिटल का रूख करना पड़ता है।
रक्त का बढ़ता है जीवन काल
चिकित्सा सूत्रों के अनुसार ब्लड बैंक में रक्त को अधिकतम 35 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यदि रक्त के घटकों को अलग कर दिया जाए तो रक्त के जीवन काल में बढ़ोतरी होती है। घटकों को अलग किए जाने के बाद 42 दिन तक रक्त को सुरक्षित रखा जा सकता है।
दो हजार यूनिट संग्रहित
सूत्रों के अनुसार ब्लड बैंक शुरू होने के बाद अब तक 1940 यूनिट रक्त संग्रहित किया जा चुका है। इनमें से 454 यूनिट रक्त सामाजिक व स्वयंसेवी संगठनों के शिविरों के माध्यम से संग्रहित किया गया है। वहीं संग्रहित रक्त में से 1785 यूनिट ब्लड बैंक से जारी किया गया है।
लैब के कार्मिकों के भरोसे
ब्लड बैंक शुरू होने पर लैब टैक्नीशियन व लैब सहायक के दो-दो पद स्वीकृत किए गए थे। एक साल बीत जाने के बाद भी यह पद खाली है। ऐसे में लैब में कार्यरत लैब टैक्नीशियन व लैब सहायकों को लगाकर ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा है। इसके चलते लैब में तकनीशियन व सहायकों की कमी महसूस की जाती है।
नहीं पड़ेगा बाहर जाना
ब्लड बैंक में कम्पोनेंट की सुविधा शुरू हो तो प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आवश्यकता वाले रोगियों को बाहर जाना नहीं पड़ेगा। रक्त का जीवन काल भी सात दिन तक बढ़ता है।
-डॉ. बिजेन्द्र गुप्ता, प्रभारी ब्लड बैंक गंगापुरसिटी
मिलनी चाहिए सुविधा
परिषद की ओर से रक्तदान शिविर आयोजित किए जाते हैं। ब्लड बैंक में कम्पोनेंट की सुविधा शुरू होनी चाहिए। सुविधा शुरू होने पर शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा।
– लक्ष्मीनारायण गोयल, अध्यक्ष, भाविप शाखा कुशालगढ़ गंगापुरसिटी