वक्ताओं ने जताया रोष
मिनी सचिवालय के बाहर कई वक्ताओं ने रैली को सम्बोधित किया। ब्राह्मण समाज के पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र लोढी ने काले कानून को लेकर विरोध जताया। साथ ही सवर्ण नेताओं की चुप्पी को लेकर रोष जताया। अग्रवाल समाज जिलाध्यक्ष रामू गुट्टा ने कहा कि सवर्ण के वोट से बनी सरकार ही सवर्णों की अनदेखी कर रही है। वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे मजदूर संघ के डी. के. शर्मा ने न्यायालय के फैसले के खिलाफ संशोधन को गलत बताया। व्यापार महासंघ अध्यक्ष कृष्ण कुमार झाम ने कहा कि व्यापारियों ने नोटबंदी और जीएसटी सह ली, लेकिन इस कानून को नहीं सहेंगे। इसके विरोध में आंदोलन किया जाएगा। रामबाबू शर्मा व कैलाश मंगलम ने कहा कि न्यायालय का सम्मान हर हाल में होना चाहिए। वैद्य राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार के जाने के दिन आ गए हैं। संयोजक हाकिम ने आभार जताया।
इस्तीफे की लगी झड़ी
रैली के दौरान लोगों ने सवर्ण समाज के राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों से त्याग पत्र देने की मांग की। इस पर भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष मनोज बंसल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। इसी प्रकार बामनवास भाजपा मंडल महामंत्री बाबूलाल राजपूत, भाजयुमो मंडल अध्यक्ष मुकेश जांगिड, भाजपा मंडल मंत्री राजेन्द्र सहजपुरा, भाजयुमो जिला महामंत्री ओमी कटारिया, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी व विधायक प्रवक्ता विनोद अटल, संजय गोयल, हेमेन्द्र तिवाडी, संजय गर्ग, सुनील सैन आदि ने त्यागपत्र देने की घोषणा की। वहीं कांगे्रस व्यापार प्रकोष्ठ अध्यक्ष कैलाश मंगलम, कांगे्रस शहर ब्लॉक कोषाध्यक्ष कुबेर गुप्ता, कांगे्रस ओबीसी प्रकोष्ठ प्रदेश महासचिव मुकेश कुमावत ने पदों से त्यागपत्र देने की बात कही। अजय पाराशर, वेदप्रकाश मंगल व गोपाल गर्ग ने कांगे्रस सदस्यता छोडऩे की घोषणा की। हेमेन्द्र तिवाड़ी व एडवाकेट हुकमसिंह गुर्जर ने आंदोलन के लिए सहयोग राशि देने की घोषणा की।
पुलिस जाप्ता रहा तैनात
रैली के मद्देनजर मिनी सचिवालय में पुलिस जाप्ता तैनात रहा। रैली के साथ भी पुलिस व आरएसी के जवान चल रहे थे। इस दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु, पुलिस उपाधीक्षक नरेन्द्र शर्मा आदि मौजूद थे।
गेट पर आकर लिया ज्ञापन
रैली में शामिल व्यक्तियों के आग्रह पर अतिरिक्त जिला कलक्टर राजनारायण शर्मा ने मिनी सचिवालय के मुख्य गेट पर आकर ज्ञापन स्वीकार किया। ज्ञापन में बताया गया है कि संशोधन से लोगों में रोष व्याप्त है। प्रधानमंत्री से कानून को वापस लेकर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार संशोधन करने की मांग की गई है।