उन्होंने भारतीय संस्कृति में महिलाओं की महत्ता बताते हुए कहा कि इनके बिना कोई भी धार्मिक आयोजन संपन्न नहीं किया जा सकता है। इसी के चलते श्रीराम ने अश्वमेद्य यज्ञ के समय सीता की सोने की प्रतिमा बनाकर सपत्नीक यज्ञ में आहुति दी। वहीं राजा हिमाचल ने धर्मवृद्धि के लिए पितरों की कन्या मेना से विवाह किया। इस दौरान मनाए गए पार्वती जन्मोत्सव में पार्वती की सजीव झांकियां सजाई गई।
आचार्य ने कन्याओं को पार्वती के समान बताते हुए भू्रण हत्या नहीं करने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि गृहस्थ को बेटी के जन्म पर आनंदोत्सव मनाना चाहिए। संयोजक एडवोकेट योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि रविवार को शिव-पार्वती की मनोहर झांकी सजाई जाएगी। इस दौरान राजेन्द्र अग्रवाल, लक्ष्मीकांत शर्मा, रामगोपाल शर्मा, रमेश पितलिया एवं महेश शर्मा समेत कई श्रद्धालु उपस्थित थे।
महायज्ञ में दिया शिक्षित बनने का संदेश
आर्य समाज मंदिर में चल रहे यजुर्वेद परायण महायज्ञ में शनिवार को आचार्य स्वामी सच्चिदानन्द सरस्वती ने मनुष्य के दुखों का कारण अविद्या को बताया। उन्होंने बताया कि विद्याहीन मनुष्य जड़ को चेतन तथा चेतन को जड़ समझने की भूल कर बैठता है। आचार्य ने बताया कि अज्ञान को मिटाने का सबसे सरल रास्ता वेद है।
उन्होंंने ने धर्म को परिभाषित करते हुए बताया कि धर्म वह है, जिसे सभी निर्विरोध रूप से धारण कर सकें, जबकि जिसे कुछ लोग ही स्वीकार करें वह धर्म नहीं होकर पंथ या सम्प्रदाय होता है। यज्ञाहूति में संतोष कुमार मसावता, रामअवतार सीए, राजेश ठाकुरिया व बनवारीलाल खण्डेलवाल ने भाग लिया। ओमप्रकाश ऑफसेट ने बताया कि १२ अगस्त को महायज्ञ की पूर्णाहूति होगी। इसमें अब तक बने सभी यजमान पूर्णाहूति देंगे। उन्होंने बताया कि सोमवार को यज्ञ के ब्रह्मा व पधारे हुए विद्वानों का सम्मान सत्कार व भण्डारे का आयोजन किया जाएगा।