कम्पनी निजी आवास बनाने के दस्तावेज पेश नहीं कर पाई। उस दौरान श्रम विभाग ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर मजदूरों के आवासों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। इस पर समिति ने जांच रिपोर्ट में बताया था कि यह आवास इण्डस्ट्रीज हाउसिंग स्कीम तथा केन्द्र सरकार के अंशदान के तहत निर्मित किए गए है। इसी क्रम में पूर्व में भी 200 आवास जो आईएचएस कॉलोनी के नाम से है। वर्षों पहले श्रम विभाग ने मजदूरों के नाम कर पट्टे जारी कर दिए है। शेष 1154 आवासों का मालिकाना हक पट्टे दिया जाना शेष है। ज्ञापन में डॉ. मीणा व लोगों ने बताया कि समिति की रिपोर्ट के बाद श्रम विभाग ने शेष रहे आवासों को वर्ष 2006-07 में श्रमिकों को देने के आदेश दिए थे। क्योंकि मजदूरों को उस समय पट्टा देना था।
फैक्ट्री प्रबंधन भी फैक्ट्री चलाने में विफल रहा। उन्होंने पट्टे देने की प्रकिया शुरू कर गोशाला आवास, 150 बंगले, जीजी क्वाट्र्स, दौसा रोड, दुर्गा मंदिर के पास बने आवासों का भी निर्णय कर उन्हें मजदूरों के नाम करने की मांग की है। श्रम मंत्री ने एक समिति बना उसे सवाई माधोपुर भेजकर आवासी पट्टे दिए जाने की प्रक्रिया को पूर करने का भरोसा दिया।