शहर को पानी पिलाने वाला विभाग और रोड लाइट के माध्यम से शहर को रोशन करने का जिम्मा उठाने वाली शहर की सरकार पर ही निगम का करीब डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है। बिल नहीं चुकाने की स्थिति में यह राशि बढ़ती ही जा रही है, लेकिन अधिकारी इस ओर कोई ध्यान देते नजर नहीं आ रहे। निगम की ओर से दिए जाने वाले नोटिस के जवाब में महज ‘आश्वासन’ ही मिल रहा है, लेकिन बिल चुकाने की जहमत कोई उठाता नजर नहीं आ रहा। स्थानीय प्रशासन के साथ पुलिस और 11 ग्राम पंचायतों के सरपंच भी बिना बिल चुकाए बिजली जला रहे हैं।
उलझ रही राशि
नगरपरिषद पर विद्युत निगम का करीब १ करोड़ ४१ लाख ८८ हजार रुपए बकाया है। इसमें से ३५ लाख ८९ हजार रुपए सिंगल फेस बोरिंग के कनेक्शन के हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर वर्ष २०१३ में शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए जलदाय विभाग ने सिंगल फेस बोरिंग कराई थीं। बाद में इनका जिम्मा नगरपरिषद एवं नगरपालिकाओं को दे दिया गया। अब आपसी सामंजस्य के अभाव में इनका बिल नहीं भर पा रहा है। निगम का मानना है कि बिल भरने का जिम्मा अब नगरपरिषद का है, लेकिन परिषद इसे जलदाय विभाग की बोरिंग बताती है। वहीं जलदाय विभाग इन्हें हैण्डओवर करने के बाद इसकी जिम्मेदारी परिषद की बताता है। इसका खामियाजा निगम को उठाना पड़ रहा है।
यह है विभागों पर बकाया
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ७३ लाख ४६ हजार
11 ग्राम पंचायतों के सरपंच ८ लाख ५ हजार
स्थानीय प्रशासन २ लाख ५ हजार
पुलिस १ लाख ६६ हजार
नगरपरिषद १ करोड़ ४१ लाख ८८ हजार
शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग ३ लाख १८ हजार
इस मामले में सहायक अभियंता शहर विद्युत वितरण निगम महेश सैनी का कहना है कि कई सरकारी महकमों पर निगम की राशि बकाया है। सम्पर्क करने पर राशि जमा कराने का आश्वासन मिला है। जलदाय विभाग की ओर से पिछले दिनों राशि जमा कराई गई थी, लेकिन अब भी राशि बकाया है।