अब तक ट्रेनों में महिलाओं के लिए विशेष कोच लेडीज बोगी ट्रेन के इंजन के करीब या सबसे पीछे होती थी। उसे अब ट्रेन के मध्य में आने वाले सुरक्षा बल की बोगी के पास स्थानांतरित किया जाएगा। लेडीज बोगी में यात्रा करने वाले महिला मुसाफिरों की सुरक्षा की दृष्टि से ये कदम उठाया जा रहा है।
लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्रा के दौरान महिलाएं सबसे आगे व सबसे पीछे बैठ के यात्रा करने से कतराती हैं। कई ट्रेनों में महिला डिब्बे में पुरुष भी बैठ जाते हैं। रेलवे बोर्ड ने महिला डिब्बों का रंग भी बदलने की योजना बनाई है ताकि पुरुष यात्री गलती से भी उस डिब्बे में ना चढ़ सके।
सुरक्षा के किए जा रहे है कड़े प्रबंध
करीब 26 वर्षों बाद रेलवे ने महिलाओं के डिब्बे के नियमों में बदलाव का फैसला किया है। डिब्बों के खिड़कियों में जाली लगाने और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का भी प्रस्ताव है।
करीब 26 वर्षों बाद रेलवे ने महिलाओं के डिब्बे के नियमों में बदलाव का फैसला किया है। डिब्बों के खिड़कियों में जाली लगाने और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का भी प्रस्ताव है।
खिड़कियों पर जाली लगाने का कार्य मंडल स्तर पर किया जाएगा। बोगी में आने जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर नजर रखी जाएगी। यहां तक कि जीआरपीएफ, आरपीएफ सब कैमरों की नजरों में कैद रहेगे।
महिलाओं के यात्री डिब्बे में टिकट की जांच से लेकर सुरक्षा की कमान महिला रेल कर्मचारियों के हाथ में होगी। महिलाओं के लिए डिब्बे में अलग से टॉयलेट और चेंजिग रूम भी बनाए जाने की योजना है। रेलवे ने अभी स्पष्ट नहीं किया कि यह सुविधा केवल एक्सप्रेस टे्रनो के लिए मुहैया कराई जाएगी या महिला बोगी वाले सभी ट्रेनों में होगी।
महिला सुरक्षा की दृृष्टि से अनूठा प्रयास
महिला सुरक्षा की दृष्टि से रेल मंत्रालय का यह एक अनूठा प्रयास है। अभी हम बोगी को स्थानांतरित करने का कार्य कर रहे हैं। उसके पश्चात खिड़कियों में जाली लगवाने का कार्य करेंगे ताकि महिलाओं को पूरी सुरक्षा मिल सके।
-कमल जोशी, पीआरओ, उत्तर पश्चिम रेलवे, जयपुर
महिला सुरक्षा की दृष्टि से रेल मंत्रालय का यह एक अनूठा प्रयास है। अभी हम बोगी को स्थानांतरित करने का कार्य कर रहे हैं। उसके पश्चात खिड़कियों में जाली लगवाने का कार्य करेंगे ताकि महिलाओं को पूरी सुरक्षा मिल सके।
-कमल जोशी, पीआरओ, उत्तर पश्चिम रेलवे, जयपुर