गांव के मुनेश मीना ने बताया कि भागवत कथा के पांचवें दिन भागवत आचार्य पंडित शैलेंद्र शरण शास्त्री ने गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। उन्होंने गोवर्धन पूजन प्रसंग व अन्य लीलाओं का मनोहारी वर्णन किया। इस दौरान भगवान के जन्म उत्सव, उनके नाम करण और पूतना वध के साथ माखन चोरी की लीलाओं का वर्णन पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। शास्त्री ने कहा कि भगवान ने अपनी लीलाओं से कंस द्वारा भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया। कथा के दौरान भगवान की माखन चोरी लीला की झांकी सजाई गई। बाल गोपाल के वेश में सजे नन्हे कान्हा ने मटकी फोडक़र लोगों को आनंदित किया।
इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु झूमकर नाचे। शास्त्री ने कथा में बताया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका घमंड दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बरसात कराई। लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया। कथा के दौरान गोवर्धन पूजन का उत्सव उल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर सभी भक्तों ने गोवर्धन भगवान की झांकी पर भोग लगाकर आशीर्वाद लिया। कथा समापन पर आरती कर सभी को प्रसादी वितरित की गई।