उधर मलारना चोड़ की कई ढाणियों में भी जलभराव होने से लोग परेशानी से जूझ रहे थे। इस दौरान दौरान उपखण्ड क्षेत्र के अलग अलग इलाको में लगभग एक दर्जन कच्चे पक्के मकान भी गिरे, लेकिन प्रशाशन ने इनकी सुध तक नही ली। अब यह लोग पड़ोसियों व रिश्तेदारो के घरो में या खुले आकाश तले छप्पर बांध कर दिन काट रहे है। औसत से 30 प्रतिशत अधिक वर्षा तहसील कार्यालय से प्राप्त आंकड़ो की माने तो इस बार एक जनवरी से 4 सितम्बर तक कुल 854 मिमी वर्षा हुई है। जबकि मलारना डूंगर में औसत 653 मिमी वर्षा मानी गई हे। ऐसे में अब तक औसत से 30.78 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है।
हालांकि यह आंकड़ा 4 सितम्बर 2016 तक हुई 939 मिमी वर्षा के आंकड़े को नही छू सका है। किसानो की तरफ नही ध्यान उपखण्ड क्षेत्र में गत दिनों हुई अच्छी वर्षा के बाद किसानो की फसल में भी काफी नुकसान हुआ है, लेकिन राजस्व कर्मियो ने अभी किसानो की इस पीड़ा को गम्भीरता से नही लिया। यही वजह हे कि 4 सितम्बर तक भी पटवारी व गिरदावरो ने फसल खराबे की रिपोर्ट पेश नही की। किसानो की माने तो खेतो में बारिश का पानी जमा होने से उनकी तमाम फसले नष्ट हो गई, लेकिन अभी तक किसी ने भी उनकी सुध नही ली।