दरअसल, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जलापूर्ति केन्द्र से पेयजल का नमूना लेकर उसकी रासायनिक व जैविक जांच करने का प्रावधान है। इसके लिए पूरे जिले में केवल सवाईमाधोपुर में ही प्रयोगशाला केन्द्र है। जलदाय विभाग की ओर से लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि रसायन युक्त पानी से निजात दिलाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत कोई ठोस प्रबंध ही नहीं है। इतना ही नहीं पेयजल जांच का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है, जबकि ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से सालाना करोड़ों का बजट खर्च किया जाता है।
रासायनकी मात्रा अधिक
जिले के 122 गांव व ढाणियों में पेयजल में रासायनिक तत्वों की मात्रा अधिक है। वित्तीय वर्ष 2017-18 की बात करें तो बामनवास के 63 गांव व ढाणियों में पानी में सर्वाधिक फ्लोराइड व नाइट्रेट की मात्रा पाई गई। इसी प्रकार गंगापुरसिटी में 26 गांव व ढाणियां, चौथकाबरवाड़ा में 22, बौंली व खण्डार में 5-5 गांव व ढाणियों में रसायन तत्वों की मात्रा पाई गई है। वित्तीय वर्ष 2017-18 सर्वे में जिलेभर से गांव व ढाणियों से प्रयोगशाला में 3 हजार में से 2954 नमूनों की जांच प्रयोगशाला में हुई।
बामनवास ब्लॉक में सर्वाधिक दूषित तत्व
जिले के सवाईमाधोपुर ब्लॉक में पेयजल में रसायन की मात्रा सर्वाधिक है। यहां करीब 50 फीसदी जलस्त्रोतों में रासायनिक तत्व पाए गए हैं। ऐसे में जाहिर है कि इन जनस्त्रोतों का पानी पीने के लायक नहीं है। इसके बावजूद लोगों को मजबूरी में रासायनिक मिश्रण वाला पानी पीना पड़ रहा है।
स्टॉफ की कमी है
जिला मुख्यालय पर पेयजल की रासायनिक जांच के लिए केवल एक ही प्रयोगशाला है। यहां पर्याप्त स्टाफ नहीं है। ऐेसे में ब्लॉक स्तर पर गांव, ढाणियों व कस्बों में नमूनों की जांच नहीं हो पाती। इसके लिए कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया है। पेयजल की जांच के लिए आगामी समय में एक मोबाइल वैन आने की संभावना है। इसके बाद ही समस्या दूर हो सकेगी।
विश्रामङ्क्षसह मीना,जूनियर केमिस्ट, जलदाय विभाग प्रयोगशाला, सवाईमाधोपुर