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फसलों के लिए घातक, लोगों के लिए आफत बना मोयला

locationसवाई माधोपुरPublished: Feb 03, 2019 03:27:58 pm

फसलों के लिए घातक, लोगों के लिए आफत बना मोयला

patrika

करमोदा क्षेत्र में एक खेत में सरसों की फसल को देखते कृषि अधिकारी।

सवाईमाधोपुर. मौसम में हो रहे बदलाव से जिले में पछेती सरसों में मोयला या चैंपा का प्रकोप बढ़ गया है।

मोयला का प्रकोप राहगीरों व वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बना है। सरसों सहित फूलदार फसलों पर इसका प्रकोप बना है। इधर, शनिवार को कृषि विभाग के सहायक निदेशक रामराज मीणा व करमोदा कृषि पर्यवेक्षक विजय जैन ने मोयल के बढ़ते प्रकोप के चलते शनिवार को करमोदा, सूरवाल, जस्टाना, पीपलदा, कोड््याई आदि गांवों का दौरा किया। वहीं सरसों फसल में कीट-रोग प्रकोप की स्थिति जानी।
ऐसे करें बचाव
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ.राम आसरे ने बताया कि इन दिनों किसानों के सामने मोयला की समस्या आ रही है। यह हल्के हरे पीले रंग का होता है। पंक्तियों की नीचली सतह व फूलों की टहनियों पर समूह में पाए जाते हैं। यह पौधे के विभिन्न भागों में रस चूसकर नुकसान पहुंचाते है। लगातार आक्रमण रहने पर पौधे के विभिन्न भाग चिपचिपे हो जाते है। इन पर काला कवक लग जाता है। इसके नियंत्रण के लिए जब 20 प्रतिशत से अधिक आक्रमण हो तब डायमिथोएट 30 ईसी(रोगोर) का 875 मिली प्रति हैक्टेयर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए, या डायमिथोएट 30 ईसी का 105 मिलीमीटर प्रतिलीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
फूलदार फसलों के लिए घातक है मोयला
रबी की प्रमुख फसल में सरसों का नाम सबसे पहले आता है। इस फसल की बुवाई किसान सितम्बर के दूसरे सप्ताह से नवम्बर तक करता है। ऐसे में जिन किसानों ने यह फसल सितंबर के दूसरे सप्ताह और अक्टूबर से दूसरे सप्ताह के बीच कर ली थी, उनकी फसल में मोयला का प्रकोप नहीं है। अक्टूबर से अंत से नवम्बर के बीच जिन किसानों ने इसकी बुवाई नहीं की है,उन्हें मोयला का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। इसका कारण है पीले फूलों का खिलना है। बाद में बोई गई सरसों में अभी भी फूल है। इससे मोयला फूल सहित पौधे को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। यह पौधे के फूल, पत्ती, तना और फली का रस चूसकर उसे नुकसान पहुंचाता है। बताया जाता है कि दिन का तापमान एकाएक बढऩे से मोयले के पंख निकल आते है। इससे वह उड़कर आबादी की ओर जाता है।
सब्जियों में भी होता है नुकसान
मोयला ज्यादातर फूलदार फसलों को नुकसान पहुंचाता है। यह मैथी, सरसों, सब्जियों व फूलों की फसल के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है। कई बार यह गेहूं को भी नुकसान पहुंचाता है। जब मोयले के पंख निकल आते है, तो यह फसलों को कम तबाह करता है और उडऩे लगता है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार मोयला अब खेतों से आबादी की ओर आ रहा है। हवा के साथ यह जगह से दूसरी जगह पहुंच रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में मोयले का प्रकोप अधिक है।

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