राज्य सरकार की ओर से फॉरेस्ट मैनेजमैंट एण्ड डिसीजन सपोर्टिंग सिस्टम तैयार किया गया है। इसके तहत जयपुर में मुख्यालय से डीसीएफ व क्षेत्रीय वन अधिकारी कार्यालय को इससे जोड़ा जाएगा। हालांकि वन अपराध से जुड़े मामलों के ऑनलाइन होने के बाद भी पुरानी फाइल प्रक्रिया भी
जारी रहेगी।
जारी रहेगी।
इसलिए पड़ी जरूरत
प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में बीते कुछ माह में शिकार की गतिविधियों में इजाफा हुआ है। रणथम्भौर में मादा चीतलों के शिकार का मामला सामने आया। वहीं मुकुंदरा में बंदूकधारी शिकारियों ने नीलगाय का शिकार किया था। वहीं सरिस्का में कई बार बाघिन का शिकार किया जा चुका है।
प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में बीते कुछ माह में शिकार की गतिविधियों में इजाफा हुआ है। रणथम्भौर में मादा चीतलों के शिकार का मामला सामने आया। वहीं मुकुंदरा में बंदूकधारी शिकारियों ने नीलगाय का शिकार किया था। वहीं सरिस्का में कई बार बाघिन का शिकार किया जा चुका है।
वहीं बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में भी बदूंकधारी शिकारी कैमरे में कैद हो चुके हैं। जैसलमैर के पोकरण के पास भी जंगली सांड के शिकार का मामला सामने आया है। ऐसे में वन व वन्यजीवों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सरकार की ओर से यह पहल की गई है।
यह होगा लाभ
रिकॉर्ड के आनॅलाइन होने के बाद शिकार व तस्करी के मामले में एफआईआर दर्ज करने में लेटलतीफी नहीं चलेगी। अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी। कार्रवाई नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही छोटे से छोटे मामलों पर उच्च अधिकारियों की सीधी नजर रहेगी। इसके तहत जिला स्तर पर जल्द ही वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कई जगहों पर यह व्यवस्था शुरू कर दी गई है।
रिकॉर्ड के आनॅलाइन होने के बाद शिकार व तस्करी के मामले में एफआईआर दर्ज करने में लेटलतीफी नहीं चलेगी। अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी। कार्रवाई नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही छोटे से छोटे मामलों पर उच्च अधिकारियों की सीधी नजर रहेगी। इसके तहत जिला स्तर पर जल्द ही वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कई जगहों पर यह व्यवस्था शुरू कर दी गई है।
इनका कहना है…
टाइगर रिजर्व में शिकार व तस्करी के मामलों के रिकॉर्ड को ऑनलाइन किया जाना है। इसके लिए जल्द ही वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
– एमएल मीणा पीसीसीएफ, वन विभाग, जयपुर।
टाइगर रिजर्व में शिकार व तस्करी के मामलों के रिकॉर्ड को ऑनलाइन किया जाना है। इसके लिए जल्द ही वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
– एमएल मीणा पीसीसीएफ, वन विभाग, जयपुर।