यह है कारण
वर्ष 2014 में रणथम्भौर से निकला बाघ टी-62 कमलेश्वर होते हुए नीमखेड़ा के जंगल में पहुंच गया था। इस दौरान वहां उसने तीन से चार माह निकाले थे। बाघ के होने की पुष्टि एक बैल के शिकार के बाद हुई थी। इसके कुछ समय बाद ही यह बाघ रामगढ़ अभयारण्य पहुंच गया था। इसके अलावा टी-91 यानि मिर्जा भी नीमखेड़ा में लम्बे समय तक रुका था। यहां पहाड़ी और पीने का पानी के साथ ही शिकार भी पर्याप्त होने के कारण बाघ अधिकांश समय निकाल लेते हैं। इसके अलावा वर्ष 2006 में निकला एक बाघ जिसे युवराज के नाम से पहचाना गया था। वह भी इस क्षेत्र में लम्बे समय तक रुका था। बाद में लाखेरी के सखावदा में उसका शिकार हो गया था।
वन विभाग ने लगाए कैमरे
वन विभाग की ओर से लाइटनिंग के शावकों की तलाश में आमाघाटी व आस-पास के वन क्षेत्र में फोटो ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं और शावकों की तलाश की जा रही है, लेकिन अब तक वन विभाग को शावक नजर नहीं आए हैं। ऐसे में वन विभाग की चिंताएं बढ़ गई हैं।
गुपचुप चल रही तलाश
बाघों के गायब होने की बात वन विभाग खुलकर नहीं कह रहा है, लेकिन एक संस्था व कर्मचारियों के माध्यम से अन्य अभयारण्यों में इनकी पूछताछ की जा रही है। इस संबंध में वहां के वन्यजीव प्रेमियों और स्टाफ से भी बात की गई है।
इधर, लाइटनिंग के शावक गायब
बाघिन टी-83 यानि लाइटनिंग के शावक कई माह से नजर नहीं आ रहे हैं। अप्रेल माह में लाइटनिंग के साथ शावक नजर आए थे। बाद में बाघ टी-95 के लाइटनिंग के साथ रहने के कारण बाघिन ने बच्चों को एक बगीचे में छोड़ दिया था। कई दिनों बाद बाघिन वापस आई, लेकिन उसके बाद बाघिन तो नजर आई, लेकिन उसके शावक नजर नहीं आए।
यह है संभावना
दोनों शावक करीब ढाई साल के हैं और अपनी टेरेटरी की तलाश में काफी समय से थे। ऐसे में जोन आठ से लगता हुए रामगढ़ विषधारी अभयारण्य ही है। इसके चलते एक बाघ फलौदी रेंज से कमलेश्वर, पोलघटा, बलवन होते हुए रामगढ़ की ओर निकला हो। वहीं बाघ के नीमखेड़ा के जंगल में रुकने की संभावना प्रबल बनी हुई है।
यह था विचरण क्षेत्र
वन विभाग के अनुसार टी-61 के शावक जोन आठ में विचरण करते थे। इनका विचरण क्षेत्र जोन सात के जामोदा से आठ तक रहता था। अंतिम बार वनकर्मियों को यह बाघ जून माह में जोन आठ में नजर आए थे। इसके बाद से न तो इनके पगमार्क मिले है और न ही फोटो ट्रेप कैमरे में नजर आए हैं।
ये बाघ पहले से लापता
रणथम्भौर से कालू-धोलू, टी-78, पैकमैन आदि कई बाघ पहले से नजर नहीं आ रहे हैं। इन बाघों को गायब हुए लम्बा समय हो गया है, लेकिन अब तक विभाग इनका पता नहीं लगा सका है। वहीं बाघ टी-77 भी गायब था, लेकिन कुछ समय पहले विभाग ने इसके पगमार्क मिलने की पुष्टि की थी, हालांकि वन्यजीव प्रेमी इसे अब भी लापता ही बता रहे हैं।
लाइटनिंग के शावक कई दिनों से नजर नहीं आ रहे हैं। इनकी ट्रैकिंग के लिए कैमरे लगाए गए हैं। टी-61 के शावकों के बारे में जानकारी नहीं है।
वाईके साहू, सीसीएफ , रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर।