आयोजन समिति के प्रवक्ता नरेन्द्र जैन नृपत्या ने बताया कि दिगम्बर जैन मुनि श्रद्धानंद एवं पवित्रानंद महाराज के सानिध्य में चल रहे कार्यक्रम में प्रतिष्ठाचार्य राजेश जैन राज भोपाल, सहायक प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी संजय जैन आहार व अंकित शास्त्री के मार्गदर्शन में महिलाओं ने मंदिर परिसर से बैण्डबाजों के साथ घटयात्रा निकाली। घटयात्रा नूतन जिनालय परिसर से शुरू होकर सैनिक नगर, मुख्य बाजार, कर्मचारी कॉलोनी से वापस पांडाल परिसर में पहुंचकर धर्मसभा में बदल गई। घटयात्रा में महिलाएं सिर पर स्वर्ण कलश लेकर निकली।
मंदिर परिसर में अष्टकुमारियां ने भजनों पर नृत्य किए। पुरुष णमोकार मंत्र व मुनि संघ के जयकारे लगाते निकले। धर्मसभा में मुनि श्रद्धानंद महाराज ने कहा कि धर्म के अनुसार व्यवहार करना चाहिए। विधायक रामकेश मीना ने श्रीफल भेंट किया। इस मौके पर महायज्ञ तीर्थंकर भगवान के लौकिक माता-पिता शिखरचंद जैन-अंगूरी देवी, सौधर्म इन्द्र विराग-प्रियंका जैन कटारिया केकड़ी, कुबेर इन्द्र डॉ. मनोज-सुलेखा जैन, महायज्ञ नायक महेन्द्र-मीना, चक्रवती मुकुल पिंकी, ईशान आलोक संगीता जैन, सनत इन्द्र मनोज व अंजू शाह व माहेन्द्र अभिनव व रिन्कू ने मुनि संघ की वंदना की।
पंचरंगी ध्वज फहराकर हुई शुरुआत
आयोजन स्थल पर वृहद आकार का डोम बनाया है, जिसे अस्थाई रूप से पारसनाथ भगवान की जन्म नगरी काशी का रूप दिया गया। सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष सुभाष पांड्या व महामंत्री नरेन्द्र गंगवाल ने बताया कि गर्भकल्याणक पूर्वाद्ध की शुरूआत डॉ. एम.पी. जैन, रमेश व सुमेर जैन, शशि नीरू सोनी परिवार ने पंचरंगी धर्म ध्वजा फहराकर महोत्सव की शुरूआत की।
पाडांल में मंगल कलश की स्थापना शिखरचंद, नेमीचंद साह परिवार ने की। भगवान पाश्र्वनाथ भगवान के पंचकल्याणक महोत्सव के तहत देर शाम मंच पर गर्भकल्याणक के दृश्य साकार हुए। आयोजन समिति के अध्यक्ष महावीर जैन साह ने बताया कि मंगलवार को जिनेन्द्र भगवान के कलशाभिषेक, शांतिधारा के बाद दोपहर 2.15 बजे माता की गोद भराई व शाम 7.30 बजे से मंच से अश्वसेन का दरबार, सोलह स्वप्न फल, अष्ठकुमारियों की ओर से सेवा आदि के दृश्य संगीतमय साकार होंगे।