अलग- अलग नम्बर के हैं कार्ड
मलारना चौड़ निवासी आठ वर्षीय खुशीराम मीणा के अब तक तीन बार आधार कार्ड बन चुके हैं। तीनों ही आधार कार्ड मेंं अलग- अलग नम्बर है। हैरत वाली बात यह है कि उसने यह कार्ड स्वेच्छा से नहीं बनवाए बल्कि विभागीय अधिकारियों के कहने पर बनवाए हैं, लेकिन इसके बाद भी उसे योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस तरह बने आधार कार्ड
खुशीराम के संरक्षक बत्तीलाल मीणा ने बताया कि पहला आधार कार्ड खुशीराम के पिता मुकेश मीणा ने बनवाया था। इसके तीन साल बाद उसकी खेत में काम करते समय कीड़े के काटने से मृत्यु हो गई। इसके बाद पालनहार योजना के लाभ के लिए अधिकारियों के कहने पर फिर से आधार कार्ड बनवाया। लेकिन फिंगरप्रिंट मैच नहीं होने के कारण रिजेक्ट हो गया। इसके बाद फिर से एक ओर आधार कार्ड बनवाया गया, लेकिन फिंगर मैच नहीं होने के कारण उसे भी रिजेक्ट कर दिया गया।
दस माह से नहीं मिल रही राशि
पिता की मौत के बाद खुशीराम व उसके भाईबहिन का नाम पालनहार योजना में जोड़ा गया। लेकिन आधार कार्ड के मैच नहीं करने के कारण उसे दस माह से पालन हार राशि भी नहीं मिल पा रही है।
इनका कहना है….
आधार कार्ड मेंं फिंगरप्रिट मैच नहीं होने के कारण राशि का भुगतान नहीं हो पाया। इसके लिए अब मोबाइल नम्बर से ओटीपी लेकर भी राशिका भुगतान किया जा सकता है।
– नवल खान, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सवाईमाधोपुर।
कभी कभी छोटी उम्र में बनाए एक कार्ड के फिंगरप्रिंट मैच नहीं करते हैं। इसके लिए आवेदक के फिंगर प्रिंट को बोयोमैट्रिक अपडेट कर दुबारा आधारकार्ड पर लगाना होगा।
– प्रदीप शर्मा, एसीपी, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सवाईमाधोपुर।
– प्रदीप शर्मा, एसीपी, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सवाईमाधोपुर।