अभिभावकों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में शुक्रवार को ही जन्माष्टमी का त्योहार मना लिया, जबकि सम्पूर्ण भारत में यह त्योहार शनिवार को मनाया जाएगा। सरकार ने देर रात आदेश जारी कर जन्माष्टमी के लिए अधिकृत अवकाश को शनिवार के स्थान पर शुक्रवार को कर दिया। इसके चलते सरकारी कर्मचारियों में छुट्टी को लेकर गफलत पैदा हो गई। शिक्षा विभाग के शिविरा पंचांग में जन्माष्टमी का अवकाश शनिवार को निश्चित किया था। ऐसे में बच्चे एवं शिक्षक विद्यालय पहुंच गए, जब उन्हें विभाग के आदेश की जानकारी मिली तो वापस लौटना पड़ा।
इधर राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर जन्माष्टमी अवकाश २४ अगस्त को घोषित करने की मांग की है। प्रदेश संगठन महामंत्री रामदयाल मीना ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश से कलेण्डर में जन्माष्टमी अवकाश २४ अगस्त को घोषित किया था, लेकिन गुरुवार देर रात इसे बदलकर २३ अगस्त कर दिया। यह न्याय संगत नहीं है। हिन्दू पंचाग के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत २४ अगस्त को है। राज्य के स्कूलों में करीब ५ लाख शिक्षक-कर्मचारी सेवारत है और करीब ८० लाख छात्र अध्ययनरत है। इन्हें २४ अगस्त को जन्माष्टमी होने के बाद भी स्कूलों में उपस्थित रहना पड़ेगा।
दूध पर बनी दुविधा
शिक्षकों ने शुक्रवार को आदेश की जानकारी के बाद स्कूल की छुट्टी कर ताला लगा दिया। इधर सरकारी स्कूलों में अन्नापूर्णा दुग्ध योजना का दूध पहुंच गया। शिक्षकों ने सरकारी आदेशों को हवाला देकर दूध लेने से इनकार कर दिया। वहीं डेयरी वालों ने दूध लेने का दवाब बनाते हुए कहा कि इसके बारे में हमें पहले सूचित नहीं किया गया। ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान होगा। ऐसी स्थिति लगभग सभी स्कूलों में देखने को मिली।
यह बोले संघों के पदाधिकारी
शिविरा पंचांग के अनुसार शनिवार को जन्माष्टमी का अवकाश होने से अन्य जिलों से आकर नौकरी करने वाले शिक्षक अपने घरों को रवाना हो गए। ऐसे में सरकारी आदेशों से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। सरकार की ओर से जन्माष्टमी के स्थान पर अन्य दिन छुट्टी घोषित करना कर्मचारी व बच्चों के साथ अन्याय है। अब सरकार को शनिवार को भी अवकाश रखना चाहिए।
– रामकिशोर शर्मा, प्रदेश संयुक्त महामंत्री राज. शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ
राज्य सरकार की ओर से जन्माष्टमी के बजाय एक दिन पहले अवकाश घोषित करना उसकी धर्म विशेष के प्रति मानसिकता का परिचायक है। इससे लाखों बच्चों एवं कर्मचारियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। शुक्रवार को अधिकांश शिक्षक एवं बच्चे स्कूल पहुंचे। ऐसे में सरकार को अपनी गलती सुधारते हुए २४ अगस्त का अवकाश घोषित करना चाहिए।
– बजरंग लाल गुर्जर, जिलाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय)
यह बोले अभिभावक
सरकार की ओर से शुक्रवार की छुट्टी की सूचना नहीं दी गई। ऐसे में बच्चों को सुबह स्कूल भेज दिया। बाद में वहां जाकर पता चला कि सरकार की ओर से छुट्टी घोषित की गई है। अब शनिवार को जन्माष्टमी का त्योहार मनाने के स्थान पर बच्चों को स्कूल जाना पड़ेगा। सरकार को आदेश जारी करने से पहले जन भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए था।
– अरुण कुमार शर्मा, अभिभावक
सम्पूर्ण प्रदेश में जहां लोग जन्माष्टमी का त्योहार मना रहे होंगे। वहीं छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाएंगे। बड़ों के साथ बच्चों को जन्माष्टमी के त्योहार का खास इंतजार रहता है। बच्चों ने इसके लिए विशेष तैयारी कर रखी थी, लेकिन सरकारी आदेश के चलते सारी तैयारी धरी रह गई।
– पवन कुमार जोशी, अभिभावक
सरकारी आदेशों ने कराई गफलत
बामनवास . राज्य सरकार की ओर से देर रात श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का अवकाश शनिवार से बदलकर शुक्रवार को कर देने के आदेशों ने विद्यार्थियों के सामने खासी परेशानी खड़ी कर दी। गांव ढाणियों के विद्यार्थी कई किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचे तो उनको छुट्टी का पता लगा। कई विद्यालयों में शिक्षकों में छुट्टी को लेकर असमंजस की स्थिति रही। कई शिक्षक स्कूल पहुंचे। शिक्षक-विद्यार्थियों के स्कूल पहुंचने पर प्रार्थना सभा के बाद विद्यार्थियों को सूचना देकर छुट्टी कर दी गई। वहीं सरकारी स्कूलों में अन्नपूर्णा योजना के तहत वितरित होने वाला दूध भी पहुंच गया। ऐसे में डेयरी प्रतिनिधियों तथा स्कूली शिक्षकों के बीच दूध को लेकर भी विवाद हुआ। डेयरी को भी इस संबंध में सूचना नहीं होने से अधिकांश स्कूलों में सुबह दूध पहुंच गया। दूसरी तरफ कई निजी शिक्षण संस्थानों ने सरकार की ओर से आनन-फानन में जारी किए आदेशों को दरकिनार करते हुए स्कूलों का संचालन किया।
प्रार्थना सभा के बाद छुट्टी
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लिवाली में बच्चे एवं शिक्षक नियत समय पर पहुंच गए। सर्वप्रथम बच्चों की प्रार्थना सभा हुई। प्रार्थना सभा के दौरान ही शिक्षकों को सरकार की ओर से घोषित की गई छुट्टी की जानकारी मिली। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की छुट्टी कर दी।