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यहां बालरूप में गणेशजी के माता के साथ होते हैं दर्शन

locationसवाई माधोपुरPublished: Sep 28, 2022 10:27:26 am

Submitted by:

Surendra

1 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजी है चौथमाताबालरूप में गणेशजी के माता के साथ होते हैं दर्शनसवाईमाधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा कस्बे में चौथमाता का 570 साल प्राचीन मंदिर है जो देशभर में प्रसिद्ध देवी मंदिरों में शामिल है। अरावली की पहाड़ी पर 1 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है यही कारण है कि यह मंदिर देश के 108 तीर्थ स्थलों में से एक है। माता के इस मंदिर में गौरी के स्वरूप की पूजा की जाती है।

यहां बालरूप में गणेशजी के माता के साथ होते हैं दर्शन

यहां बालरूप में गणेशजी के माता के साथ होते हैं दर्शन

1 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजी है चौथमाता
बालरूप में गणेशजी के माता के साथ होते हैं दर्शन
सवाईमाधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा कस्बे में चौथमाता का 570 साल प्राचीन मंदिर है जो देशभर में प्रसिद्ध देवी मंदिरों में शामिल है। अरावली की पहाड़ी पर 1 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। विशेष तौर पर करवा चौथ के मौके पर यहां सुहागिनों का सैलाब उमड़ता है। यही कारण है कि यह मंदिर देश के 108 तीर्थ स्थलों में से एक है। माता के इस मंदिर में गौरी के स्वरूप की पूजा की जाती है। वैसे देश में माता के कई अन्य मंदिर है, लेकिन यहां पुत्र रूप में गणेश जी के माता के साथ बाल स्वरूप में विराजने से यह मंदिर गिने-चुने मंदिरों में शामिल है। बताया जाता है कि बरवाड़ा के उत्तरी छोर पर 1 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर माता की स्थापना सन 1451 में तत्कालीन शासक भीम ङ्क्षसह ने एक स्वप्न से प्रभावित होकर की थी। शासक ने 570 साल पहले आदिशक्ति चौथ भवानी को पहाड़ों की चोटी पर माघ कृष्ण चतुर्थी को विधि विधान से स्थापित किया। मंदिर तक पहुंचने के लिए सुगम सीढिय़ां और रैलिंग लगी हुई हैं।
तब से लेकर आज तक इसी दिन चौथ माता का लक्खी मेला भरता है। हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथ माता को निमंत्रण देने पहुंचते हैं। प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। चौथमाता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है।
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