सवाई माधोपुर

रेलवे ट्रैक पर ही कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने मनाई भगवान देवनारायण जी की जयंती, ऐसे किया पूजा-पाठ

ट्रैक पर भगवान देवनारायण जी की जयंती मनाने की जानकारी मिलते ही सैकड़ों की तादाद में गुर्जर समाज के महिला पुरुष व बच्चे रेलवे ट्रैक स्थित धरना स्थल पर ही जमा हो गये…

सवाई माधोपुरFeb 12, 2019 / 01:52 pm

dinesh

सवाईमाधोपुर/मलारना डूंगर।
गुर्जर आरक्षण आंदोलन को लेकर गुर्जर समाज पांचवे दिन भी दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर जमा रहा। मंगलवार को भगवान देवनारायण की जयंती होने से गुर्जर समाज ने धरना स्थल रेलवे ट्रैक पर ही कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के नेतृत्व में भगवान देवनारायण की जयंती मनाई। यहां ट्रैक पर लगे कर्नल बैंसला के तखत पर भगवान देवनारायण जी के चित्र पर सर्व प्रथम कर्नल बैंसला (Kirori Singh Bainsla) ने दीप प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद कर्नल की संघर्ष समिति में शामिल उनके पुत्र विजय बैसला, संघर्ष समिति प्रवक्ता एडवोकेट शैलेन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष भूरा भगत, कैप्टन जगराम, धरना स्थल व्यवस्था समिति अध्यक्ष जगदीश सिंह गुर्जर, रामप्रसाद गुर्जर, राकेश मलारना, मकसूदनपुरा पूर्व सरपंच सम्पत सिंह गुर्जर ने भी बारी-बारी से भगवान देवनारायण जी को पुष्प अर्पित किए।
 

इसके बाद धरना स्थल पर जमा आंदोलनकारियों ने भी भगवान देवनारायण जी को पुष्प अर्पित कर ढोक लगाई। इस दौरान भगवान देव नारायण की आरती कर आरक्षण की मांग को लेकर संघर्ष करहे कर्नल बैसला व गुर्जर समाज की सफलता की भगवान देवनारायण जी से मनौती मांगी गई।
 

ट्रैक पर भगवान देवनारायण जी की जयंती मनाने की जानकारी मिलते ही सैकड़ों की तादाद में गुर्जर समाज के महिला पुरुष व बच्चे रेलवे ट्रैक स्थित धरना स्थल पर ही जमा हो गये। भगवान देवनारायण जी के जय घोष के साथ ही कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के भी पटरी वाले बाबा, पगड़ी वाले बाबा के नाम से भी जयकारे लगने शुरू हो गए।
 

ट्रैक के बाद अब हाईवे पर उतरा आंदोलन, यात्री परेशान
गुर्जर आरक्षण आंदोलन की लपटें अब मलारना स्टेशन के निकट रेलवे टे्रक से निकलकर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगी है। पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर यहां दिल्ली-मुंबई रेलवे टे्रक पर पड़ाव डाले बैठे गुर्जरों की मांगों का हल राज्य सरकार चौथे दिन भी नहीं निकाल सकी। इसमें देरी के चलते आंदोलन अब और तेज हो रहा है। सोमवार को आंदोलनकारियों ने प्रदेश में दस से अधिक रास्तों को रोक दिया। जिससे यात्रियों के अलावा आम आदमी को भी पीड़ा भोगनी पड़ी। एक ओर जहां लोगों को यात्रा निरस्त करनी पड़ रही है तो दूसरी ओर वाहनों के अभाव में दूर-दूर तक पैदल सफर करना पड़ रहा है।
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