scriptरणथम्भौर से जुड़ाव नहीं होना पड़ा कुंभलगढ़ को भारी | Kumbhalgarh did not have to be connected with Ranthambore | Patrika News

रणथम्भौर से जुड़ाव नहीं होना पड़ा कुंभलगढ़ को भारी

locationसवाई माधोपुरPublished: Jan 20, 2022 12:00:08 pm

Submitted by:

Subhash

एनटीसीए ने टाइगर रिजर्व घोषित करने से किया इंकार राज्य सरकार ने तैयार किया था प्रस्ताव

रणथम्भौर से जुड़ाव नहीं होना पड़ा कुंभलगढ़ को भारी

रणथम्भौर से जुड़ाव नहीं होना पड़ा कुंभलगढ़ को भारी

सवाईमाधोपुर. प्रदेश में बाघों को नया आशियाना देने की पहल को तगड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के कुंभलगढ़ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद अब अटकती नजर आ रही है। दरअस्ल नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथोरियटी (एनटीसीए) ने कुंभलगढ़ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने से इंकार कर दिया है। इससे वन्यजीव प्रमियों में निराशा है। गौरतलब है कि करीब दो साल पूर्व राज्य सरकार की ओर से उदयपुर के कुंभलगढ़ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद शुरू की गई थी। इसके लिए वन विभाग की ओर से राज्य सरकार के माध्यम से एनटीसीए को प्रस्ताव भी भिजवाया गया था।
एनटीसीए का यह है तर्क
हाल ही में इस संबंध में एनटीसीए की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में एनटीसीए ने कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व के लिए अनुप्युक्त करार दिया है। रिपोर्ट में एनटीसीए के अधिकारियों का तर्क है कि कुंभलगढ़ अभयरारण प्रदेश के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से किसी भी प्रकार से जुड़ाव नहीं है। ऐसे में बाघ रणथम्भौर से ना तो सीधे कुंभलगढ पहुंच सकते है और ना ही कुंभलगढ सें रणथम्भौर। ऐंसे में यहां बाघों की सरवाइव रेट प्रभावित होसकती है।
छोटा भी है जंगल
रिपोर्ट में अधिकारियों ने बताया कि कुंभलगढ़ के जंगल करीब 220 किमी बड़ा है। ऐसे में यह बाघों के लिए पर्याप्त नहीं है। साथ ही कुंभलगढ़ में सपाट जंगल के स्थान पर पहाड़ी क्षेत्र अधिक होना भी इसके टाइगर रिजर्व बनने ेके आड़े आ रहा है। इसके अलावा रिपोर्ट में टोडगढ रारोली सेंचुरी में भी मानवीय हस्ताक्षेप अधिक होना भी बाघों के लिए अनुचित करार दिया गया है। रिपाूेर्ट में दोनों ही अभयारण्यों में वन विभाग को तकाल रूप से मानवीय दखल को कम करने के निर्देश दिए हैं।
लैंडस्कैप और प्रेबेस विकसित करें
रिपोर्ट में दोनों ही अभयारण्यों के लैंडस्कैप और प्रेबेस को भी बाघों के लिए अपर्याप्त बताया गया है। उन्होंने वन विभाग को दोनों ही अभयारण्यों में तत्काल प्रभाव से बेहतर लैंडस्कैप और प्रेबेस विकसित करने के निर्देश भी दिए हैं।
इनका कहना है….
टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए बेहतर पर्यावास सुनिश्चत होने के लिए एक टाइगर रिजर्व का दूसरे टाइगर रिजर्व से जुड़ाव होना जरूरी होता है लेकिन कुं भलगढ़ का रणथम्भौर य प्रदेश के अन्य किसी भी टाइगर रिजर्व से सीधा जुड़ाव नहीं है। ऐसे में यह फि लहाल टाइगर रिजर्व के लिए उपयुक्त नहीं है।
– आरएन महरोत्रा, पूर्व पीसीसीएफ व वर्तमान में एनटीसीए के सदस्य।
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