बाघिन के देर रात तक खेतों में बने रहने के कारण ग्रामीण भी खेतों में फसलों की रखवाली के लिए देर रात तक डटे रहे।
शिकार कर शोर होने पर बाघिन खेतों की ओर लौट गई।
शिकार कर शोर होने पर बाघिन खेतों की ओर लौट गई।
बाघिन के दुबारा खेतों में चले जाने के बाद ग्रामीण टॉर्च की रोशनी में जंगली सुअर को बाइक पर रस्सी से बांधकर खेतों से बाहर ले आए।
बाघिन की रात भर ट्रैकिंग की गई।
देर रात तक पर्यटक वाहन चालक जिप्सियों से खेतों में बाघिन की तलाश करते रहे।