लम्पी वायरस की दवा नहीं बचाव व रोकथाम ही उपाय
सवाई माधोपुरPublished: Aug 16, 2022 07:42:09 pm
प्रदेश के 22 जिलों में पशु हो चुके हैं संक्रमित
लम्पी वायरस की दवा नहीं बचाव व रोकथाम ही उपाय
सवाईमाधोपुर. प्रदेश भर में पशु लम्पी वायरस की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि जिले में अब तक लम्पी वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया है। पशु पालन विभाग व पशु चिकित्सालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में लम्पी वायरस के दो संदेहजनक मामले सामने आए है। ऐसे में पशुओं के सैंपल लिए गए है और पशुओं को चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। हालांकि सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। गौरतलब है कि अब तक प्रदेश के 22 जिलों में लम्पी वारयस के मामले सामने आ चुके हैं।
एक प्रकार का संक्रमक रोग
पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग ने बताया कि लम्पी वायरस एक पशु से दुसरे पशु में फैलने वाला एक तरह का संक्रमक रोग है। इसके लिए अभी तक कोई वैक्सीन या दवा निर्धारित नहीं है। ऐसे में इसकी रोकथाम व बचाव ही इससे पशुओं को बचाने का एक मात्र उपाय है।
ये हैं लक्षण
लम्पी वायरस से संक्रमित होने पर शुरूआत में गोवंश की त्वचा पर गोलोकार गांठदार रचनाओं का उभरना देखा जाता है। ये गांठे सिर, गर्दन व जननांग के आसपास होती है। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होती जाती है। इससे पशुओं को तेज बुखार, आंख व नाक से लार का स्त्रवण होना, कभी कभी छाती व पेट के पास सूजन आना और दूध का अचानक कम हो जाना ऐसे लक्षण नजर आते हैं। यह रोग मचछर, मक्खी आदि के माध्यम से , संक्रमित चारेको गोवंश द्वारा खाने आदि विभिन्न माध्यमों से फैलता है।
ये है बचाव के उपाय
डॉ. सुनील कुमार आदि चिकित्सकों ने बताया कि लम्पी वायरस से बचाव के लिए गोवंश के अनावश्यक आवागमन को बंद करान ,गौशाला प्रबंधक व गोवंश को गौशलाा में ही रखाने, नए गोवंश को अलग बाड़े में रखने और 15 दिनों तक अन्य गोवंश के साथ सम्मिलित नहीं करने, प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशु को अन्य पशुओं से अलग करने, सइपर मैथिन का छिड़काव करने, गौशाला की नियमित सफाई करने, मृत गोवंश का उचित निस्तारण करने गौशाला के कार्मिकों के हाथों को नियमित सैनेटाइज कराने आदि उपायों से गोवंश को इस रोग की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।
…. तो नहीं होगा टीकाकरण
पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यदि किसी भी गांव में एक भी गोवंश व पशुओं में लम्पी वायरस के लक्षण नजर आते हैं तो उस गांव के किसी भी गोवंश व पशु का टीकाकरण नहीं किया जाएगा।