मंडी शुल्क से होती आय
मंडी समिति को मंडी शुल्क से आय होती है। किसानों की ओर से लाई जाने वाली कृषि जिंसों को खरीदने वाले व्यापारियों से मंडी शुल्क की वसूली की जाती है। इसके लिए अलग-अलग दर निर्धारित है। मंडी सूत्रों के अनुसार बाजरा पर ०.5० प्रतिशत की दर से मंडी शुल्क वसूल किया जाता है। गेंहू, चना, ग्वार, अरहर पर 1.6० प्रतिशत मंडी शुल्क निर्धारित है। वहीं सरसों, तारामीरा, तिल्ली पर 1 प्रतिशत की दर से मंडी शुल्क वसूला जाता है। मंडी में प्रमुख तौर पर गेंहू सरसों, बाजरा, चना व तिल्ली की आवक होती है।
यह है कारण
मंडी सूत्रों के अनुसार आय में वृद्धि को लेकर अधिक आवक और अधिक दाम को प्रमुख कारण माना जा रहा है। अप्रेल से अक्टूबर तक पिछले साल बाजरा से 4.65 लाख रुपए की आय हुई, जबकि इस वर्ष इस अवधि में 11.23 लाख रुपए की आय हुई है। इसी प्रकार गेंहू से गत वर्ष 39.96 लाख रुपए की आय रही, जबकि इस वर्ष आय 7०.69 लाख रुपए रही हैं। इसी प्रकार चना से गत वर्ष 1०.14 लाख रुपए की आय हुई जो इस वर्ष 27.51 लाख रुपए रही है। सरसों से आय पिछले साल के 87.16 लाख की तुलना में इस वर्ष 148.39 लाख रुपए रही है। दूसरी ओर तिल और ग्वार से आय में कमी रही है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष गेंहू, सरसो व तिल्ली के दामों में तेजी रही है।
पिछले सालों की आय पर नजर
मंडी समिति को मंडी शुल्क से करोड़ों रुपए की आय होती है। सूत्रों के अनुसार गत वित्तीय वर्ष 2०18-19 में मंडी समिति को 418 लाख रुपए की आय हुई थी। इसी प्रकार वर्ष 2०17-18 में 52० लाख रुपए की आय रही थी। वर्ष 2०16-17 में आय का आंकड़ा 427.46 लाख रुपए रहा। इस वर्ष 7 माह में 344 लाख रुपए की आय हो चुकी है। ऐसे में रबी की फसल आने पर आय का आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में बढऩे की उम्मीद है।
और बढ़ेगी आय
मंडी में सुचारू नीलामी व्यवस्था, अधिक आवक व दाम से आय अधिक है। आय और बढ़ेगी। व्यापारियों, किसानों व पल्लेदारों का भी सहयोग रहा है।
-एस.एस. गुप्ता, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति गंगापुरसिटी।