पीएमओ के पास वित्तीय अधिकार नहीं होने के कारण अस्पताल में बेहद जरूरी सामानों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। निशुल्क जांच प्रयोगशाला में जरूरी जांच सामग्री का अभाव है। वहीं एक्सरे विभाग में भी कुछ इसी प्रकार के हालात हैं। करीब 3-4 दिन से नि:शुल्क प्रयोगशाला की जांच व एक्सरे व्यवस्था ठप पड़ी है, जबकि इन दिनों क्षेत्र में वायरल फीवर की चपेट में है। साथ ही नित नए डेंगू के मरीज भी सामने आ रहे हैं। बेहतर चिकित्सा सेवा की आस लगाकर अस्पताल आ रहे मरीजों को रुपए खर्च कर निजी जांच केन्द्रों पर महंगी जांच करानी पड़ रही है। (ब.उ.)
नहीं मिले वित्तीय अधिकार
गत माह के अंत में जारी हुई डॉक्टर्स की तबादला सूची में तत्कालीन पीएमओ डॉ. जी.बी. सिंह का तबादला धौलपुर जिले में कर दिया गया। इसके बाद अस्पताल के ही एक चिकित्सक को पीएमओ का चार्ज दे दिया गया। इसके बाद अब राज्य सरकार की ओर से एक पीएमओ के रूप में डॉ. दिनेश चंद गुप्ता की तैनाती की है। नए पीएमओ ने कार्यभार तो संभाल लिया, लेकिन उन्हें अभी तक वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए हैं।
गत माह के अंत में जारी हुई डॉक्टर्स की तबादला सूची में तत्कालीन पीएमओ डॉ. जी.बी. सिंह का तबादला धौलपुर जिले में कर दिया गया। इसके बाद अस्पताल के ही एक चिकित्सक को पीएमओ का चार्ज दे दिया गया। इसके बाद अब राज्य सरकार की ओर से एक पीएमओ के रूप में डॉ. दिनेश चंद गुप्ता की तैनाती की है। नए पीएमओ ने कार्यभार तो संभाल लिया, लेकिन उन्हें अभी तक वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए हैं।
प्रयोगशाला पर ताला लटकने की नौबत
अस्पताल परिसर स्थित जांच प्रयोगशाला में प्रतिदिन औसतन 700-800 निशुल्क जांच होती हैं। अब यह आंकड़ा करीब 200 जांचों पर आ गया है। प्रयोगशाला में जांच में काम आने वाले रीजेन्ट एवं कार्ड आदि सामग्री का अभाव है। चिकित्सकों की ओर से जांच तो लिखी जा रही हंै, लेकिन प्रयोगशाला में जांच नहीं होने से मरीज धक्का खा रहे हैं। प्रयोगशाला में सबसे ज्यादा सीवीसी की जांच होती है। इसके लिए जरूरी रीजेन्ट ही उपलब्ध नहीं है। हैपेटाइटिस, स्पिलस, मलेरिया, यूरिन एवं यूपीटी समेत कई प्रकार की जांचें बंद हो गई हैं। इतना ही नहीं अस्पताल में प्रेग्नेंसी जांच सेवा भी ठप है।
अस्पताल परिसर स्थित जांच प्रयोगशाला में प्रतिदिन औसतन 700-800 निशुल्क जांच होती हैं। अब यह आंकड़ा करीब 200 जांचों पर आ गया है। प्रयोगशाला में जांच में काम आने वाले रीजेन्ट एवं कार्ड आदि सामग्री का अभाव है। चिकित्सकों की ओर से जांच तो लिखी जा रही हंै, लेकिन प्रयोगशाला में जांच नहीं होने से मरीज धक्का खा रहे हैं। प्रयोगशाला में सबसे ज्यादा सीवीसी की जांच होती है। इसके लिए जरूरी रीजेन्ट ही उपलब्ध नहीं है। हैपेटाइटिस, स्पिलस, मलेरिया, यूरिन एवं यूपीटी समेत कई प्रकार की जांचें बंद हो गई हैं। इतना ही नहीं अस्पताल में प्रेग्नेंसी जांच सेवा भी ठप है।
एक्सरे सेवा भी ठप
एक्स-रे विभाग में भी जरूरी सामान की कमी से मरीजों के साथ कार्मिकों को भी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। यहां एक्स-रे फिल्म का स्टॉक खत्म हो गया है। यहां पहले रोजाना करीब 80-90 एक्स-रे होते थे, लेकिन यह आंकड़ा अब 10 पर आ गया है।
एक्स-रे विभाग में भी जरूरी सामान की कमी से मरीजों के साथ कार्मिकों को भी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। यहां एक्स-रे फिल्म का स्टॉक खत्म हो गया है। यहां पहले रोजाना करीब 80-90 एक्स-रे होते थे, लेकिन यह आंकड़ा अब 10 पर आ गया है।
नहीं मिले वित्तीय अधिकार
अभी वित्तीय अधिकार नहीं मिलने से जरूरी सामान की खरीद नहीं की जा सकी है। व्यवस्थाओं को बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। समस्या से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।
डॉ. दिनेश गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सामान्य चिकित्सालय गंगापुरसिटी
अभी वित्तीय अधिकार नहीं मिलने से जरूरी सामान की खरीद नहीं की जा सकी है। व्यवस्थाओं को बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। समस्या से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।
डॉ. दिनेश गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सामान्य चिकित्सालय गंगापुरसिटी