सवाई माधोपुर

सियासत… सरकार के दावों और विपक्ष के आरोपों के बीच जमीनी हकीकत, चुनावी आहट में मुद्दों की तलाश, विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हुए दल

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सवाई माधोपुरSep 07, 2018 / 03:21 pm

Vijay Kumar Joliya

sawaimadhopur

जिले का हाल, जिले की सीट 2008 2013
सवाईमाधोपुर कांग्रेस भाजपा
गंगापुरसिटी कांग्रेस भाजपा
खण्डार कांग्रेस भाजपा
बामनवास कांग्रेस भाजपा

सवाईमाधोपुर. विधानसभा चुनाव में सवाईमाधोपुर जिले की चारों विधानसभा सीटें अहम स्थान रखती है। आगामी विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही राजनीतिक दलों ने स्थानीय मुद्दों को फिर से टटोलना शुरू कर दिया है। वर्तमान सीटों पर नजर डालें तो चारों सीटें बीजेपी के खाते में दर्ज हैं।
2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। हालांकि 2008 के चुनाव में इसके उलट स्थिति थी। चारों सीटों पर कांग्रेस काबिज थी। भाजपा को करारी हार मिली थी। वहीं अब 2018 में चारों सीटों पर कश्मकश अभी से तेज हो गई है। मुद्दों की बात करें तो चारों विधानसभाओं के अलग-अलग मुद्दे हैं। वहीं जातिगत प्रभाव इन सीटों के परिणामों देखने को मिलता है। चारों सीटों पर हालांकि प्रदेश स्तरीय नेताओं का खासा प्रभाव देखने को नहीं मिला है। स्थानीय विधायक ही जनता के सीधा संपर्क में रहे।
चारों सीटों के बड़े मुद्दे
उद्योग इकाई खुलवाना।
अमरूद एवं आंवला पर खाद्य प्रसंस्करण इकाई।
रणथम्भौर के पर्यटन में ग्रामीणों की हिस्सेदारी।
खण्डार में डांग क्षेत्र
में सवा सौ गांवों
का विकास।
खण्डार में रणथम्भौर पार्क का गेट खुलवाना।
गंगापुरसिटी गंगापुरसिटी-दौसा एवं गंगापुर-सरमथुरा-करौली रेल लाइन।
गंगापुरसिटी को जिला बनाने की अधूरी मांग।
बामनवास में पेयजल संकट।
बिछ गई चुनावी चौसर, उछलने लगे मुद्दे
करौली. जिले में चुनावी चौसर बिछनी शुरू हुई है। आगामी चुनाव में प्रत्याशी बनने के इच्छुक तथा दलों में टिकटों के दावेदार इलाकों में भाग दौड़ करने लगे हैं। धार्मिक-सामाजिक आयोजनों में ऐसे सदस्यों की सक्रियता बढ़ गई है। कांग्रेस की ओर से चुनाव का औपचारिक शंखनाद 10 सितम्बर को संभाग स्तरीय संकल्प रैली से होना है।
ये हैं मुद्दे…
करौली
1. बढ़ते अपराधों पर नियंत्रण नहीं।
2. मेडिकल कॉलेज का नहीं खुलना
3. भूमि-भवन के अभाव में इंजनीयरिंग कॉलेज का भरतपुर तथा डिप्लोमा कॉलेज का अलवर में संचालित होना।
4. करौली में खोले गए रोडवेज डिपो का बंद होना।
5. मण्डरायल के चंबल पुल की घोषणा के बाद प्रगति नहीं
6. सैण्ड स्टोन के धंधे का चौपट होना और रोजगार की कमी
हिण्डौन सिटी
1. कन्या कॉलेज की दरकार
2. खारी नाले की समस्या का समाधान नहीं
3. पुर्नगठित पेयजल योजना की धीमी प्रगति, पानी की समस्या।
4. अपर पुलिस अधीक्षक कार्यालय नहीं खुलना।
5. बढ़ते अपराधों पर लगाम नहीं।

सपोटरा
1. कैलादेवी आस्थाधाम का पर्यटन की दृष्टि से विकास नहीं होना।
2. डांग क्षेत्र के गांवों में पानी-बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी
3. मण्डरायल में चंबल पर पुल का नहीं बन पाना।
4. रोजगार के साधनों की कमी।
5. सड़कों की खस्ता हालत और बिजली की अनियमित आपूर्ति।
टोडाभीम
1. आवागमन के साधनों का अभाव।
2. बालाजी घाटी का चौड़ा करने का वर्षो से अटका मामला।
3. बिजली- पानी का संकट का समाधान नहीं।
4. गांवों में चिकित्सा संसाधनों व सुविधाओं की कमी
5. सड़कों की बदहाल स्थिति।

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