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3 लोकसभा क्षेत्रों से जुृड़ी रेल परियोजना एक दशक से अधूरी, लोगों का आंदोलन भी रहा बेनतीजा

locationसवाई माधोपुरPublished: Apr 04, 2019 12:05:51 pm

Submitted by:

Vijay Kumar Joliya

3 लोकसभा क्षेत्रों से जुृड़ी रेल परियोजना एक दशक से अधूरी, लोगों का आंदोलन भी रहा बेनतीजा

sawaimadhopur

Gangapur City

गंगापुरसिटी. सियासत में उलझकर बे-पटरी हुई गंगापुरसिटी-धौलपुर रेल परियोजना पिछले पांच साल में भी पटरी नहीं चढ़ सकी है। ऐसे में टोंक-सवाईमाधोपुर, करौली धौलपुर एवं दौसा जैसे तीन बड़े लोकसभा क्षेत्रों के लोगों की उम्मीद अधर में ही अटकी है। पूर्वी राजस्थान की तीन लोकसभा क्षेत्र की यह महत्वपूर्ण मांग है।
इस बार लोकसभा चुनाव के समय यह मांग फिर जोर पकडऩे लगी है। परियोजना पर करीब 70 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। वहीं करौली जिले में इसके लिए आंदोलन भी हुआ, लेकिन इसके बाद भी परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी है। विधानसभा चुनाव से अब तक यह मांग तीन जिलों के साथ गंगापुर में भी ‘बड़ा मुद्दाÓ मुद्दा रहा है।

इस परियोजना के पूरी होने से गंगापुर के साथ, करौली, धौलपुर एवं दौसा जिले को लाभ मिलेगा और एक-दूसरे जिले का सीधा जुड़ाव हो जाएगा। गंगापुरसिटी में इस परियोजना को पूरी करने की मांग कई मर्तबा उठी है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है। जानकारों का कहना है कि दिसम्बर 2019 में दौसा-गंगापुर रेल परियोजना पूरी होने के आसार हैं। ऐसे में गंगापुरसिटी जंक्शन बनेगा और यह दिल्ली-मथुरा-भरतपुर-गंगापुर, दौसा जंक्शन एवं जयपुर सिटी की रेल व्यवस्था से जुड़ जाएगा।
इससे इतर रेल मंत्रालय की ओर से वर्ष 2011 में स्वीकृत गंगापुरसिटी वाया करौली-सरमथुरा धौलपुर रेल परियोजना की क्रियान्विति अधर में है। उत्तर मध्य रेलवे जोन इलाहाबाद के अधीन इस परियोजना में गंगापुरसिटी से धौलपुर के सरमथुरा तक रेल लाइन डालनी शेष है, जिसकी दूरी 76 किमी है। इस परियोजना के पूरी होने से तीसरा वैकल्पिक रेल मार्ग पूर्ण होने पर पश्चिम राजस्थान का मुख्य केन्द्र जयपुर तथा जोधपुर तीनों ग्रांड ट्रंक मार्गों से जुडऩे के साथ संपूर्ण भारत की सीमाओं से जुड़ जाएगा, लेकिन यह अभी लोगों के लिए सपना ही बना हुआ है।

पीएमओ बता चुका है ‘फ्रीज’
धौलपुर-सरमथुरा रेलवे लाइन आमान-परिवर्तन तथा गंगापुरसिटी तक विस्तार करने के प्रमुख प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से दिए गए आरटीआई के जवाब में इसे ‘फ्रीज’ करना बताया है। यह जवाब रेल विकास समिति करौली की ओर से मांगी गई आरटीआई में दिया गया है। इससे धौलपुर-करौली के लोगों की वर्षों पुरानी कोटा मार्ग से जुडऩे की उम्मीदों को झटका लगा है।
2010-11 में मिली मंजूरी
दशकों पुरानी रेल परियोजना को वर्ष 2010-11 के रेल बजट में मंजूरी मिली थी। इसके दो साल बाद वर्ष 2012-13 में परियोजना के सर्वे का काम हुआ। साथ ही वर्ष 2013 में केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था। शिलान्यास के बाद कुछ काम हुआ, लेकिन अब यह अधरझूल में है।
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