-पोक्सो न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों की ओर से न्यायालय का सम्मान नहीं करने पर नाराजगी जताई। इसको लेकर विशेष टिप्पणी भी लिखी।
– पुलिस अधिकारियों की ओर से सेल्यूट नहीं करने और पुलिस महानिदेशक ने कैप भी नहीं पहनने पर न्यायालय ने नाराजगी जताई।
– न्यायिक अधिकारी के डाइस पर आने पर भी डीजीपी खड़े नहीं हुए।
इस पर पुलिस महानिदेशक ने कोर्ट में सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारी के न्यायालय में आने की जानकारी नहीं हो पाई थी। वहीं कैप पहनने को लेकर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पुलिस अधिकारियों के लिए किसी छत के नीचे खड़े होने की स्थिति में कैप पहनना आवश्यक नहीं है। हालांकि जब चारों अधिकारी न्यायालय में पेश हुए उस समय पुलिस महानिदेशक को छोड़कर पुलिस अधीक्षक व पुलिस उपाधीक्षक एससीएसटी सेल ने कैप पहन रखी थी। कोर्ट में पीठासीन अधिकारी दिनेशचंद गुप्ता के नेतृत्व में सुनवाई हुई।
ये है मामला
अधिवक्ता नेत्रबिन्दु सिंह जादौन ने बताया 4 सितंबर, 2018 को डेकवा गांव निवासी पीडि़त पक्ष ने नाबालिग से जबरन छेड़छाड़ का मामला कोतवाली थाने में दर्ज कराया था। मामला दर्ज करने में भी पुलिस ने देरी की। मेडिकल जांच पर भी सवाल उठाए। आरोप है कि अनुसंधान अधिकारी ने मामले को झूठा मानकर न्यायालय में एफआर पेश कर दी थी।
हालांकि इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई कि पोक्सो न्यायालय ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर उनको आदेश दिया। इसे निरस्त किया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले का जवाब अधीनस्थ न्यायालय में ही देना होगा।