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राजस्थान DGP कपिल गर्ग भूले कोर्ट रूल्स! न किया सेल्यूट- न पहनी कैप, फिर जो हुआ वो…

locationसवाई माधोपुरPublished: Apr 24, 2019 09:05:11 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

राजस्थान DGP भूले कोर्ट रूल्स! न किया सेल्यूट- न पहनी कैप, फिर जो हुआ वो…

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सवाईमाधोपुर।

सवाईमाधोपुर विशेष न्यायालय पोक्सो कोर्ट में पोक्सो एक्ट के एक मामले में न्यायालय के आदेश के बाद भी पुलिस की ओर से सही अनुसंधान नहीं करने पर मंगलवार को पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग, एसपी सवाईमाधोपुर समीरसिंह, पुलिस उपाधीक्षक एससी-एसटी सेल सुनील प्रसाद शर्मा पेश हुए। न्यायालय में पेशी के दौरान कोर्ट के प्रति सम्मान दर्शाने वाले नियमों की पालना नहीं करने पर कोर्ट ने इन अधिकारियों पर गहरी नाराजगी जताई। पुलिस अधिकारियों की ओर से सेल्यूट नहीं करने और पुलिस महानिदेशक ने कैप भी नहीं पहनने पर न्यायालय ने नाराजगी जताई।
इससे पहले डीजीपी ने मंगलवार को न्यायालय में अपना जवाब पेश किया था और सुनवाई होने तक करीब सवा घंटे तक डीजीपी व अन्य पुलिस अधिकारी कोर्ट परिसर में ही मौजूद रहे। मामले में अगली सुनवाई अब 27 मई को होगी।
कोर्ट ने यूं जताई नाराजगी
-पोक्सो न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों की ओर से न्यायालय का सम्मान नहीं करने पर नाराजगी जताई। इसको लेकर विशेष टिप्पणी भी लिखी।
– पुलिस अधिकारियों की ओर से सेल्यूट नहीं करने और पुलिस महानिदेशक ने कैप भी नहीं पहनने पर न्यायालय ने नाराजगी जताई।
– न्यायिक अधिकारी के डाइस पर आने पर भी डीजीपी खड़े नहीं हुए।
डीजीपी ने दी सफाई
इस पर पुलिस महानिदेशक ने कोर्ट में सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारी के न्यायालय में आने की जानकारी नहीं हो पाई थी। वहीं कैप पहनने को लेकर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पुलिस अधिकारियों के लिए किसी छत के नीचे खड़े होने की स्थिति में कैप पहनना आवश्यक नहीं है। हालांकि जब चारों अधिकारी न्यायालय में पेश हुए उस समय पुलिस महानिदेशक को छोड़कर पुलिस अधीक्षक व पुलिस उपाधीक्षक एससीएसटी सेल ने कैप पहन रखी थी। कोर्ट में पीठासीन अधिकारी दिनेशचंद गुप्ता के नेतृत्व में सुनवाई हुई।

ये है मामला
अधिवक्ता नेत्रबिन्दु सिंह जादौन ने बताया 4 सितंबर, 2018 को डेकवा गांव निवासी पीडि़त पक्ष ने नाबालिग से जबरन छेड़छाड़ का मामला कोतवाली थाने में दर्ज कराया था। मामला दर्ज करने में भी पुलिस ने देरी की। मेडिकल जांच पर भी सवाल उठाए। आरोप है कि अनुसंधान अधिकारी ने मामले को झूठा मानकर न्यायालय में एफआर पेश कर दी थी।
इसके बाद पोक्सो न्यायालय ने एफआर को नामंजूर करते हुए जांच अधिकारी को एफआर पर मौजूद बिंदुओं के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा। एसपी को भी निर्देश दिए। न्यायालय के आदेश के बाद भी इन बिंदुओं पर जांच की कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट ने डीजीपी को भी नोटिस जारी किया। इसमें प्रकरण का अग्रिम अनुसंधान कराने एवं नए सिरे से रिपोर्ट तैयार कर पेश कराने के लिए मामला पुलिस महानिदेशक को भेजा था। इस पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने से न्यायालय ने गंभीर रूख अपनाते हुए राजस्थान पुलिस महानिदेशक, एसपी और एससी/एसटी सेल पुलिस उपाधीक्षक के विरूद्ध उनकी जांच पर असंतोष जताते हुए न्यायालय ने तीनों को तलब किया।
आदेश को अधिकार क्षेत्र बाहर बताकर लगाई थी याचिका
हालांकि इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई कि पोक्सो न्यायालय ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर उनको आदेश दिया। इसे निरस्त किया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले का जवाब अधीनस्थ न्यायालय में ही देना होगा।

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