scriptVIDEO: रणथम्भौर: बिगड़ता मेल-फीमेल अनुपात बन रहा संघर्ष की वजह | Ranthambore: Due to conflict-causing mail-affair ratio | Patrika News

VIDEO: रणथम्भौर: बिगड़ता मेल-फीमेल अनुपात बन रहा संघर्ष की वजह

locationसवाई माधोपुरPublished: Jun 22, 2019 01:12:30 pm

Submitted by:

rakesh verma

रणथम्भौर: बिगड़ता मेल-फीमेल अनुपात बन रहा संघर्ष की वजह

बिगड़ता मेल-फीमेल अनुपात

बिगड़ता मेल-फीमेल अनुपात

सवाईमाधोपुर. रणथम्भौर में बाघों का बढ़ता कुनबा राहत प्रदान कर रहा है, लेकिन दूसरी ओर बाघ-बाघिन का अनुपात बिगडऩे के कारण आए दिन बाघों के बीच संघर्ष की बढ़ती घटनाओं ने वन अधिकारियों की नींद उड़ा रखी है। रणथम्भौर में वर्तमान में बाघों की तुलना में बाघिनों की संख्या कम है।

एक बाघ पर तीन बाघिन जरूरी
वन्यजीव विशेषज्ञों की माने तो नियमानुसार एक बाघिन पर तीन बाघिन का होना जरूरी होता है। जंगल में बाघ की टेरेटरी बाघिन की अपेक्षाकृत तिगुनी मानी जाती है, लेकिन रणथम्भौर में वर्तमान में एक बाघ पर तीन बाघिन नहीं होने के कारण बाघों में आपसी संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। पूर्व में झूमरबावड़ी वन क्षेत्र में टी-95 व टी-86 के बीच बाघिन को लेकर ही संघर्ष हुआ था। इसमें दोनों बाघों के चोटें आई थीं। इसी प्रकार बैरदा वन क्षेत्र में टी-104 व टी-64 में संघर्ष हुआ था, जिसमें टी-104 के गंभीर चोट आई थी।

टेरेटरी की जंग भी है कारण
रणथम्भौर में बाघों का कुनबा लगातार बढऩे के कारण अब बाघों के लिए क्षेत्र कम पड़ रहा है। ऐसे में बाघ टेरेटरी की तलाश में या तो जंगल से बाहर निकल रहे हैं या फिर एक दूसरे के इलाके में घुस रहे हैं। इसके चलते भी बाघों में आपसी संघर्ष की आशंका बनी रहती है।

रणथम्भौर में 68 बाघ-बाघिन
वर्तमान में रणथम्भौर में करीब 68 बाघ-बाघिन व शावक विचरण कर रहे हैं। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इनमें 25 नर, 25 मादा व 18 शावक हैं। ऐसे में बाघ व बाघिनों की संख्या बराबर होने के कारण बाघों में आपसी संघर्ष हो रहा है।
नियमानुसार एक
बाघ पर तीन बाघिनों का होना जरूरी

यह सही है कि वर्तमान में रणथम्भौर में बाध- बाघिन का अनुपात ठीक नहीं है। दोनों की संख्या करीब बराबर है। ऐसे में बाघिनों के कारण बाघों में संघर्ष की आशंका बनी रहती है।
मुकेश सैनी, उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर

चोटिल बाघों की हालत में सुधार दो बाघों में संघर्ष का मामला
सवाईमाधोपुर. रणथम्भौर में गत दिनों जोन एक व छह की सीमा पर बाघिन के फेर में आपसी संघर्ष में घायल हुए बाघ कुंभा (टी-34) व टी-57 की हालत में अब सुधार होने से वन विभाग ने राहत की सांस ली है। हालांकि एहियात के तौर पर दोनों बाघों की लगातार ट्रेकिंग कराई जा रही है।

लंगड़ा कर चल रहा है टी-34
टी-34 की हालत में पहले से सुधार है, लेकिन उसके पैर की चोट अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुई है। वहीं अभी भी लंगड़ाकर चल रहा है। वन अधिकारियों को टी-34 सुबह जोन छह में नजर आया। हालांकि वन अधिकारियों क ी माने तो अब टी-34 पैर जमीन पर रखने लगा है। ऐसे में उसकी चोट के जल्द ही ठीक होने के आसार है। इसी प्रकार टी-57 का मूवमेंट भी जोन एक से जोन दो की ओर हो गया है। उसकी हालत में भी पहले की तुलना में सुधार बताया जा रहा है।

बाघों की हालत में सुधार हो रहा है। ट्रेकिंग कराई जा रही है। फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है।
मुकेश सैनी, उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो